बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में एक दिलचस्प और कानूनी पेचीदगियों से भरा मामला सामने आया है। इसमें मकान मालिक ने जिस व्यक्त...
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में एक दिलचस्प और कानूनी पेचीदगियों से भरा मामला सामने आया है। इसमें मकान मालिक ने जिस व्यक्ति से मकान खरीदा था, उसे ही उसी मकान में किराएदार बना दिया। विवाद बढ़ने पर यह मामला किराया नियंत्रण प्राधिकरण से होते हुए न्यायाधिकरण और अंततः हाई कोर्ट तक पहुंच गया। मामला जांजगीर-चांपा जिले का है। याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार कहार और शोभा कुमारी ने खसरा नंबर 1507/29 में स्थित मकान रामप्रसाद नामक व्यक्ति से खरीदा था। इसके बाद उन्होंने वही मकान दशोदा बाई धीवर और रामप्रसाद को 4,000 रुपए मासिक किराए पर दे दिया। आरोप है कि दशोदा बाई ने शुरुआत से ही किराया नहीं चुकाया और मकान खाली करने से भी इंकार कर दिया। इस पर याचिकाकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2011 के तहत एसडीएम चांपा (किराया नियंत्रण प्राधिकरण) के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया। सुनवाई के बाद प्राधिकरण ने 12 दिसंबर 2022 को आदेश जारी करते हुए दशोदा बाई को मकान खाली करने और 28,000 रुपए बकाया किराया चुकाने का निर्देश दिया। प्राधिकरण के आदेश को चुनौती देते हुए किरायेदार दशोदा बाई ने अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत किराया नियंत्रण न्यायाधिकरण रायपुर के समक्ष अपील दायर की। ट्रिब्यूनल ने प्राधिकरण के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि आदेश पारित करते समय अधिनियम, 2011 की प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। विशेष रूप से गवाहों के हलफनामों की विधिवत प्रविष्टि नहीं थी। मुद्दों का निर्धारण नहीं किया गया था और पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का समुचित अवसर नहीं मिला। मकान मालिकों ने ट्रिब्यूनल के निर्णय को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद मामले को फिर से किराया नियंत्रण प्राधिकरण के पास भेजते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता नया आवेदन प्रस्तुत करें और प्राधिकरण अधिनियम के अनुसार कानून और तथ्यों के आधार पर फिर से निर्णय लें।
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