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सीमावर्ती क्षेत्रों में जल्द खुलेंगे 50 नए सुरक्षा कैंप

  रायपुर। राज्य सरकार की अपील को नजरअंदाज कर हथियार नहीं छोड़ने वाले नक्सलियों के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय ...

 

रायपुर। राज्य सरकार की अपील को नजरअंदाज कर हथियार नहीं छोड़ने वाले नक्सलियों के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शनिवार को रायपुर में हुई बैठक में अंतिम लड़ाई का खाका तैयार किया गया है। इसमें तय किया गया है कि छह महीने में छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती और नक्सल प्रभावित इलाकों में 50 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही हर पांच किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा चौकियां बनाकर सिक्योरिटी ग्रिड तैयार की जाएगी। राज्य के जंगली और दुर्गम इलाकों में पांच किलोमीटर और 25 किलोमीटर तक की उड़ान भरने वाले ड्रोन से निगरानी होगी। संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिलते ही सुरक्षा बल की संयुक्त टीम तत्काल कार्रवाई करेगी। रणनीति ऐसी बनाई गई है कि नक्सली किसी भी हालत में बचकर न भाग सकें और न ही कोई नया ठिकाना बना सकें। 15 से 20 अप्रैल के बीच दिल्ली में अमित शाह की अगुवाई में होने वाली आगामी बैठक में छत्तीसगढ़ समेत सभी नक्सल प्रभावित राज्यों के गृहमंत्रियों और पुलिस महानिदेशकों से समन्वय स्थापित कर नक्सलियों की घेरेबंदी कर उन्हें समाप्त करने की अंतिम योजना पर चर्चा होगी। खासकर छत्तीसगढ़ से लगने वाले राज्यों की सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई जाएगी, ताकि नक्सली वहां शरण न ले सकें। राज्य में विष्णु देव साय सरकार के गठन के बाद से अब तक 60 सुरक्षा कैंप खोले जा चुके हैं, जिनमें अकेले बस्तर संभाग में 41 कैंप स्थापित किए गए हैं। बैठक में यह बात सामने आई है कि नियद नेल्ला नार योजना के तहत जिलों में खोले गए शिविरों से नक्सलियों का दबदबा खत्म हो गया है। सुकमा-आंध्रप्रदेश सीमा क्षेत्र के उसकावाया और ओडिशा सीमा से लगे क्षेत्रों में भी जल्द सुरक्षा कैंप खोले जाएंगे। 15 से 20 अप्रैल के बीच दिल्ली में अमित शाह की अगुवाई में होने वाली आगामी बैठक में छत्तीसगढ़ समेत सभी नक्सल प्रभावित राज्यों के गृहमंत्रियों और पुलिस महानिदेशकों से समन्वय स्थापित कर नक्सलियों की घेरेबंदी कर उन्हें समाप्त करने की अंतिम योजना पर चर्चा होगी। खासकर छत्तीसगढ़ से लगने वाले राज्यों की सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई जाएगी, ताकि नक्सली वहां शरण न ले सकें।

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