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108 स्ट्रीट लाइट्स में से एक भी चालू नहीं, खंभे हो रहे धराशायी, करोड़ों खर्च के बाद भी अंधेरे में डूबे गांव

महासमुंद। पिथौरा नगर से सटे ग्राम पंचायत लहरौद और लाखागढ़ में करोड़ों की लागत से लगाए गए स्ट्रीट लाइट और खंभे अब शो-पीस बनकर रह गए हैं। अंधे...

महासमुंद। पिथौरा नगर से सटे ग्राम पंचायत लहरौद और लाखागढ़ में करोड़ों की लागत से लगाए गए स्ट्रीट लाइट और खंभे अब शो-पीस बनकर रह गए हैं। अंधेरे से निजात दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए, लेकिन नतीजा शून्य है। करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए 108 स्ट्रीट लाइट्स में से एक भी चालू नहीं हुई, वहीं चार खंभे अब तक गिर चुके हैं।

इस परियोजना को डीएमएफ मद से तत्कालीन कलेक्टर प्रभात मलिक की पहल पर लोक निर्माण विभाग, विद्युत एवं यांत्रिकी शाखा के माध्यम से कराया गया था, लेकिन काम की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि मनमाने ढंग से अपने चहेते ठेकेदारों को काम सौंपकर इस योजना में भारी भ्रष्टाचार किया गया है। लोगों की मानें तो इन लाइटों को लगे एक साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक ट्रांसफार्मर तक नहीं लगाया गया। बिजली खंभों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि कुछ तो पहले ही गिर चुके हैं। इससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।

यह मार्ग पिथौरा शहर से अंजली स्कूल होते हुए लाखागढ़ गांव से राष्ट्रीय राजमार्ग 53 बाईपास तक जुड़ता है, जहां रोजाना हजारों की संख्या में महिलाएं व पुरुष आना-जाना करते हैं। रात के अंधेरे में यह रास्ता खतरनाक बन जाता है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सबसे रोचक बात यह है कि यह खम्भा कभी भी किसी के ऊपर गिर सकता है लेकिन इससे स्थानीय प्रशासन को कोई लेना-देना नहीं है। अगर ऐसा ही रहा तो कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस कार्य की उच्च स्तरीय जांच हो, ताकि भ्रष्टाचार की परतें खुल सके।

इस मामले में राकेश यादव, एसडीओ, लोक निर्माण विभाग (विद्युत एवं यांत्रिकी) ने कहा, बिजली के खंभे और लाइटें हमारे विभाग ने ही लगाई है। कितने का काम हुआ है, यह पूछकर बता सकता हूं। सात-आठ महीने हो गए हैं, लेकिन ट्रांसफार्मर नहीं लग सका है। बिजली विभाग से देरी हुई है, जल्द ही लाइटें जलेंगी।

प्रियरंजन कोसरिया, सरपंच ग्राम पंचायत लाखागढ़ ने बताया, खंभे लगे एक साल हो गए हैं, अब तो वे उखड़ने भी लगे हैं। न जाने कब इनमें रोशनी आएगी की नहीं। स्ट्रीट लाइटें नहीं चलने से रात में लोगों को काफी दिक्कत होती है।

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