रायपुर में 4 साल के बच्चे को जिंदा जलाने वाले आरोपी युवक की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और...
रायपुर में 4 साल के बच्चे को जिंदा जलाने वाले आरोपी युवक की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि दोषी की उम्र 35 साल है और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है ऐसे में मृत्युदंड की जगह उम्रकैद की सजा पर्याप्त होगी। बता दें कि रायपुर के 7वें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने तीन माह पहले आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इस फैसले की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में अपील की गई थी। उरला थाना क्षेत्र में रहने वाली पुष्पा चेतन ने 5 अप्रैल 2022 को अपने चार साल के बेटे हर्ष कुमार चेतन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया कि पड़ोसी पंचराम उसके दोनों बेटों दिव्यांश और हर्ष को घुमाने ले गया था। कुछ देर बाद दिव्यांश को लौटा दिया, लेकिन हर्ष को अपने साथ ले गया। देर रात तक हर्ष घर नहीं लौटा तो परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। एक बच्चे को छोड़ा दूसरे को किया किडनैप बच्चे के पिता जयेंद्र, उरला इलाके में पूर्व पार्षद अशोक बघेल के मकान में किराए से रहता है। जबकि, आरोपी पंचराम भी पड़ोस में किराए पर रहता था। उसने चार साल के हर्ष को किडनैप किया था। जिसके बाद पुलिस ने जांच में पंचराम का मोबाइल नंबर ट्रेस किया। उसका लोकेशन नागपुर मिला। 7 अप्रैल 2022 को पुलिस ने उसे नागपुर से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने बताया कि हर्ष की हत्या कर दी और शव को नेवनारा और अकोली खार के पास जला दिया। पुलिस ने 8 अप्रैल 2022 को पंचराम की निशानदेही पर अधजला शव बरामद किया। मृतक के पिता जयेन्द्र चेतन ने शव की पहचान की। बच्चे की मां से एकतरफा प्यार करता था आरोपी केस में पहले ही यह खुलासा हुआ था कि, वारदात को अंजाम देने वाला पंचराम बच्चे की मां से प्यार करता था। मां को हासिल करना चाहता था। इसी मकसद से बच्चे को रास्ते से हटाने के लिए उसने 4 साल के हर्ष को किडनैप किया। घर से दूर ले गया और जिंदा जलाकर भाग गया। हाईकोर्ट ने पंचराम के अपराध को जघन्य मानते हुए कहा है कि उसने मासूम बच्चे की निर्ममता से हत्या की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है, जिसमें फांसी की सजा दी जाए। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में मृत्युदंड की सजा उचित नहीं है। हमारा विचार है कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है, जिसमें मृत्युदंड की बड़ी सजा की पुष्टि की जानी है। आजीवन कारावास पूरी तरह से पर्याप्त होगा और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करेगा। आरोपी अब पूरी जिंदगी जेल में रहेगा।
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