रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के 8वें दिन की कार्यवाही के दौरान दिवंगत पूर्व सदस्यों की निधन की सूचना में देरी को लेकर हंगामा हुआ।...
रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के 8वें दिन की कार्यवाही के दौरान दिवंगत पूर्व सदस्यों की निधन की सूचना में देरी को लेकर हंगामा हुआ। स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद शून्य काल में जिला और जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने का मुद्दा उठा। जिसमें सदन में जमकर हंगामा हुआ और विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया। निधन सूचना में देरी से नाराज स्पीकर डॉ रमन सिंह ने अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। विधानसभा में विधायक अजय चंद्राकर ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि, प्रशासन को स्पष्ट निर्देशों के बावजूद दिवंगतों की सूचना समय पर नहीं दी जा रही है। उन्होंने आसंदी से इस पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की। स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने सहमति जताते हुए कहा कि, "मैंने पूर्व में भी शासन को निर्देश दिया था कि किसी भी पूर्व सदस्य की निधन सूचना में देरी न हो। यह बहुत आपत्तिजनक स्थिति है।" दरअसल, अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक डॉ. देवचरण मधुखर के निधन की सूचना सदन को 20 दिनों की देरी से मिली। वे 12 फरवरी को दिवंगत हुए थे, लेकिन विधानसभा को इसकी जानकारी 4 मार्च को मिली। इस पर स्पीकर ने नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार को बिलासपुर जिले के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने और इसकी रिपोर्ट सदन में इसी सत्र के दौरान पेश करने के निर्देश दिए। विधायक राघवेन्द्र सिंह ने खनिज में अनियमितता का मामला उठाया।
गौण खनिज अनियमितता: अब तक 6 अधिकारी निलंबित विधानसभा में गौण खनिज से प्राप्त राशि में अनियमितता को लेकर भी चर्चा हुई। प्रश्नकाल के दौरान विधायक राघवेंद्र कुमार ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार से जांच की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि, अनियमितता की जांच में नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई है। डिप्टी सीएम अरुण साव ने बताया कि, इस मामले में 6 अधिकारी निलंबित हो चुके हैं। विधायक ने आगे पूछा कि, क्या दोषी फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा ? इस पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि, "जिनके खिलाफ जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी साबित होगी, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।" विधानसभा की कार्यवाही के दौरान अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई। स्पीकर ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रशासनिक लापरवाहियों को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। राजनांदगांव जिले में सामूहिक जलप्रदाय योजना को लेकर कांग्रेस विधायक दलेश्वर साहू ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव से जवाब मांगा। उन्होंने सवाल किया कि, योजना को लेकर जो जानकारी दी गई है, वो सही नहीं लग रही। उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि योजना को शासकीय जमीन पर पंचायत प्रस्ताव के अनुसार स्थापित किया गया है।
कांग्रेस विधायक द्वारकाधीश यादव ने पेयजल संकट का मुद्दा उठाया। महासमुंद नगरीय निकाय क्षेत्रों में पेयजल संकट को लेकर भी सदन में चर्चा हुई। कांग्रेस विधायक द्वारिकाधीश यादव ने कहा कि, सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी गुमराह करने वाली है। उन्होंने आरोप लगाया कि जलस्रोत के बिना ही पाइपलाइन बिछाने का काम किया गया है, जो गंभीर अनियमितता को दर्शाता है। इस पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि, सरकार लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 40.09 लाख रुपए, 2024-25 में पाइपलाइन विस्तार और ओवरहेड टैंक निर्माण के लिए 1.35 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। विधायक द्वारिकाधीश यादव के सवाल पर कि बिना जलस्रोत के पाइपलाइन क्यों बिछाई गई, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वे इस मामले की जांच करवाएंगे। हालांकि, विधायक ने दावा किया कि यह जमीन एक किसान के नाम पर है। उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी उपस्थिति में जांच की मांग की। इस पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने सहमति जताई और कहा कि, विधायक की उपस्थिति में जांच कराई जाएगी। जिसके चलते 6 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि गौण खनिज से 2 करोड़ 13 लाख 44 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई थी। जिसमें 26 में से 21 कार्य जल प्रदाय से जुड़े थे। जांच में भंडार नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई है। विधायक राघवेंद्र कुमार ने इस पर सवाल किया कि, क्या एक ही फर्म को 75 लाख रुपए का भुगतान किया गया है ? इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, एक नहीं, बल्कि कई फर्मों को भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि, मामले की जांच के लिए मुख्य अभियंता के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई है, जिसकी रिपोर्ट जल्द ही पेश की जाएगी। नेता प्रतिपक्ष ने इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ समिट को बिना दूल्हे की बारात बताया है।
प्रश्नकाल में इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ सम्मेलन का मुद्दा भी गूंजा। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक डॉ. चरणदास महंत ने सरकार से पूछा कि, "छत्तीसगढ़ में क्या दूल्हे के बिना बारात ले जाने की परंपरा है?" यह सवाल उन्होंने इसलिए उठाया क्योंकि जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक उद्योगों की स्थापना के लिए कोई एमओयू (समझौता ज्ञापन) नहीं हुआ है। उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने जवाब देते हुए कहा कि, दिल्ली और मुंबई में इन्वेस्ट सम्मेलन आयोजित किए गए। जिसमें 31 कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा कि, अब तक 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक निवेश का प्रस्ताव मिल चुका है। उद्योग स्थापना की प्रक्रिया चल रही है। महंत ने यह भी सवाल किया कि, अब तक जमीन का चयन क्यों नहीं हुआ? इस पर मंत्री ने कहा कि निवेशकों की मांग के अनुसार भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने विपक्ष को अगली बार इन्वेस्ट सम्मेलन में आमंत्रित करने की भी बात कही। इसके बाद महंत ने दिल्ली और मुंबई में हुए इन्वेस्ट सम्मेलन पर खर्च का सवाल उठाते हुए पूछा कि, दिल्ली में 1.03 करोड़ और मुंबई में 1.61 करोड़ रुपए खर्च हुए।
क्या यह पैसा खाने-पीने की व्यवस्था पर खर्च हुआ ? इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि उद्योगपतियों को बुलाने, होटल, किराया और अन्य खर्चों में यह राशि लगी। इस पर भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा कि, अगर इन्वेस्ट हो रहा है, तो खिलाने-पिलाने में क्या दिक्कत है ? सरकार की ओर से लिखित जानकारी में बताया गया कि, जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक कोई एमओयू साइन नहीं हुआ है। हालांकि, 31 इकाइयों को निवेश प्रस्ताव भेजे गए हैं और 22,557 लोगों के रोजगार की संभावना है। पंचायत चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने के मामले पर विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया। विधानसभा में शून्यकाल के दौरान जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव स्थगित करने का मामला गरमाया। कांग्रेस विधायकों अनिला भेड़िया, सावित्री मांडवी, द्वारिकाधीश यादव और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। अनिला भेड़िया ने सवाल किया कि, बिना पूर्व सूचना के चुनाव क्यों स्थगित कर दिए गए ? उन्होंने आरोप लगाया कि, खरीद-फरोख्त के लिए चुनाव रोका गया है। विधायक उमेश पटेल ने कहा कि, कई जिलों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाया जा रहा है। वहीं, भूपेश बघेल ने दुर्ग जिला पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि, वहां दो महिला दावेदारों को विधायक के घर में बैठा दिया गया और निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया। यह लोकतंत्र की हत्या है। इस मुद्दे पर विक्रम मंडावी और दिलीप लहरिया ने भी सरकार को घेरा। सत्ता पक्ष की ओर से कोई स्पष्ट जवाब न मिलने पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया और नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गया।
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