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छत्तीसगढ़ में ​​​​​​​पुलिस भर्ती घोटाले के सबूत वॉट्सऐप से मिले; रिश्वत ऑनलाइन दी गई

  रायपुर।  पुलिस भर्ती घोटाले में एसआईटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। टीम अपनी फाइनल रिपोर्ट 15 जनवरी को सौंपेगी। छत्तीसगढ़ में पुलिस भर्ती घो...

 

रायपुर।  पुलिस भर्ती घोटाले में एसआईटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। टीम अपनी फाइनल रिपोर्ट 15 जनवरी को सौंपेगी। छत्तीसगढ़ में पुलिस भर्ती घोटाले में एसआईटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। टीम अपनी फाइनल रिपोर्ट 15 जनवरी को सौंपेगी। इसमें शामिल पुलिसकर्मियों को मोबाइल से अहम सबूत मिले हैं। जांच में ये बात सामने आई है कि पुलिस भर्ती परीक्षा में जांच के हर स्तर पर पैस इतना ही नहीं, रिश्वत का पैसा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से दिया गया। इसके लिए क्यूआर कोड मांगा गया और उसमें पैसे डाले गए। हर स्टेप के बाद पैसे ट्रांसफर किए गए। ये सारी बातें एसआईटी रिपोर्ट में शामिल होंगी। SIT को 8 जनवरी तक रिपोर्ट देनी थी। हालांकि 15 जनवरी तक का समय मांगा है। राजनांदगांव जिले में कॉन्स्टेबल भर्ती घोटाले में 3 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी, 10 से ज्यादा पुलिसकर्मी और टाइमिंग टेक्नोलॉजी कंपनी हैदराबाद के कर्मचारी पुलिस जांच के दायरे में है। गृहमंत्री के निर्देश पर इसकी जांच के लिए एसआईटी बनी थी। SIT के सूत्रों के मुताबिक, ड्यूटी में मौजूद कॉन्स्टेबल ने अभ्यर्थियों से हर स्टेप में अच्छे नंबर से पास कराने का सौदा किया था। अभ्यर्थियों को नंबर मिलने के बाद पैसे का भुगतान करना था। अभ्यर्थियों ने सिंडिकेट में शामिल कॉन्स्टेबलों को हर परीक्षा के बाद लगभग 15 से 20 हजार रुपए का ऑनलाइन भुगतान किया। ये भुगतान भी अलग-अलग किए गए। एसआईटी ने आरोपियों और अभ्यर्थियों के मोबाइल से ट्रांजेक्शन की स्क्रीन बरामद कर ली है। फोन भी जब्त कर लिया है। भर्ती के दौरान अभ्यर्थियों का नंबर बढ़वाने वाले आरक्षकों ने QR कोड से पैसे लिए थे। राजनांदगांव जिले में 16 नवंबर से कॉन्स्टेबल भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। महिला आरक्षक ने 14 दिसंबर को महिला अभ्यर्थी के नंबरों में गड़बड़ी पकड़ी। महिला आरक्षक ने ड्यूटी के दौरान पाया, कि शॉट पुट इवेंट (गोला फेक) में उम्मीदवार मीना पात्रे को पहले 11 अंक मिले थे, लेकिन फाइनल लिस्ट में उसके नाम के आगे 20 अंक लिखे हुए थे। जांच के दौरान मीना पात्रे के अलावा नुतेश्वरी ध्रुर्वे और नेहा चंद्रवंशी के नंबरों में भी गड़बड़ी मिली। अफसरों को इस बात का पता चला, तो 17 दिसंबर को राजनांदगांव के लालबाग थाने में एफआईआर दर्ज की गई। अफसरों ने ड्यूटी में लगे आरक्षकों, टेक्नीशियन की जांच की तो 7 आरक्षक और चार टेक्नीशियन का काम संदिग्ध मिला। 21 दिसंबर को संदिग्ध आरक्षक अनिल रत्नाकर ने हथेली में सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली। उसने लिखा कि, अधिकारियों को बचाया जा रहा है। इसके बाद मामला हाई-प्रोफाइल हो गया। आरक्षक रत्नाकर के आत्महत्या करते ही 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। मामले में अब तक आरक्षक, अभ्यर्थियों समेत 14 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। स्पेशल टीम में शामिल अफसरों का कहना है कि भर्ती घोटाले में शामिल कुछ संदिग्धों ने अपने मोबाइल की चैट डिलीट कर दी है। इसकी रिकवरी कराई जा रही है। चैट रिकवरी होने के बाद मामले में और गिरफ्तारी होगी। खुदकुशी कर चुके आरक्षक अनिल रत्नाकर पर भी सिंडिकेट में शामिल होने का आरोप था। राजनांदगांव पुलिस भर्ती में 528 आरक्षक के खाली पदों के लिए भर्ती 8वीं बटालियन पेण्ड्री में हो रही थी। इन पदों के लिए 50 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी राजनांदगांव, खैरागढ़ छुईखदान गंडई, कबीरधाम, मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले से पहुंचे थे। लालबाग पुलिस के अलावा एसआईटी टीम परीक्षा में शामिल होने वाले 3 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों के नंबरों की जांच कर रही है। नंबरों की जांच के अलावा संदेहियों और आरोपियों के खिलाफ डिजिटल सबूत भी जुटा लिए हैं। आने वाले दिनों में गिरफ्तारी की संख्या बढ़ सकती है। एसआईटी के अफसरों के अनुसार पुलिस ने सुसाइड करने वाले आरक्षक अनिल रत्नाकर के अलावा गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों के मोबाइल को जब्त किया है। अनिल रत्नाकर के मोबाइल का चैट डिलीट मिला है। आरक्षक योगेश ध्रुर्वे के चैट में अभ्यर्थियों के नंबर बढ़ाने की बात मिली है। इसके अलावा कुछ और आरक्षकों के मोबाइल से भी चैटिंग मिली है। पुलिस भर्ती में टाइमिंग टेक्नोलॉजी कंपनी हैदराबाद के द्वारा पुलिस भर्ती की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है। एसआईटी की जांच के दायरे में ये कंपनी भी है। राजनांदगांव में भी इसी कंपनी के कर्मचारी भर्ती कर रहे थे।

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