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चार दिन पहले रची थी साजिश, पुलिस को भटकाने 60 किमी दूर फेंके मोबाइल

  जगदलपुर। पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या भले ही एक जनवरी की रात की गई, पर मुख्य साजिशकर्ता सुरेश चंद्रकार और उसके भाई रितेश व दिनेश ने चार...

 

जगदलपुर। पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या भले ही एक जनवरी की रात की गई, पर मुख्य साजिशकर्ता सुरेश चंद्रकार और उसके भाई रितेश व दिनेश ने चार दिन पहले ही इसका षड्यंत्र रच लिया था। इस पूरे प्रकरण में सुरेश चंद्रकार की योजना खुद को इससे अलग दिखाने की थी, ताकि मुकेश के साथ सड़क के भ्रष्टाचार को लेकर हुए विवाद के कारण उस पर संदेह ना हो। एक जनवरी की रात जब मुकेश की हत्या की गई तो वह तय योजना के अनुसार जगदलपुर में था। इसके बाद भी पुलिस की विशेष जांच दल (एसआइटी) ने आर्टिफिशियल इंटलीजेंस (एआई) के साथ ओपन सोर्स इंटलीजेंस टूल (ओएसआईएनटी) का प्रयोग कर इस घटना में सुरेश की संलिप्तता के साक्ष्य जुटा लिए हैं। ओएसआईएनटी ऐसा टूल है जिसका प्रयोग राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी भी करती है, जिसमें कई माध्यमों से सूचना जुटाई जा सकती है। एसआइटी के अनुसार 27 दिसंबर को सुरेश ने बैंक से बड़ी रकम भी निकाली थी ताकि इन रुपयों का प्रयोग हत्या, साक्ष्य छिपाने व भागने के लिए किया जा सके।एसआईटी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि पुलिस ने हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरा, डिजिटल व भौतिक साक्ष्य के साथ ही इसके अलावा घटनास्थल चट्टानपारा में फोरेंसिक जांच टीम ने दो बार रिक्रेयेशन कर साक्ष्य जुटाए हैं। आरोपितों ने पुलिस को उलझाने के लिए घटनास्थल से 60 किमी दूर नेलसनार नाले के पास मुकेश के दोनों फोन को चालू स्थिति में ले जाकर उसे पत्थर से तोड़कर नाले में फेंक दिया। हत्या में प्रयुक्त चार गाड़ियां, मिक्सर मशीन, लोहे का छड़ व अन्य हथियार बरामद कर लिए हैं। सुनियोजित हत्या, ताकि सच कभी बाहर न आ पाए एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए बताया कि पत्रकार मुकेश ने सुरेश चंद्रकार के भ्रष्टाचार को उजागर किया था इसलिए आरोपितों ने सुनियोजित तरीके से उसकी हत्या की है। आरोपितों ने षड्यंत्र रचते हुए छोटी से छोटी बात का ध्यान रखा ताकि उन पर संदेह ना हो और यह हत्याकांड कभी उजागर ना हो सके। एक जनवरी को जिस दिन हत्या हुई उसी दिन मुख्य साजिशकर्ता सुरेश चंद्रकार व दिनेश चंद्रकार जगदलपुर को निकल गए। हत्या करने की जिम्मेदारी रितेश व सुपरवाइजर मुकेश रामटेके को दी गई। रात लगभग आठ से दस बजे के बीच मुकेश की हत्या के बाद ही तय योजना अनुसार सुरेश व दिनेश लौटे। इसके बाद दिनेश, रितेश व मुकेश ने मिलकर मुकेश का शव सेप्टिक टैंक में डालकर ठिकाने लगाने के बाद हथियार व मुकेश के मोबाइल को भी ठिकाने लगाया। इसके बाद सुरेश हैदराबाद तो रितेश दिल्ली भाग गया, जिन्हें दिल्ली व हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया। दिनेश व महेंद्र को बीजापुर में गिरफ्तार किया गया। चारों आरोपितों को 15 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है।

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