नयी दिल्ली । सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य 315 रूपये बढाकर 5650 रूपये प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया है। ...
नयी दिल्ली । सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य 315 रूपये बढाकर 5650 रूपये प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आश्य के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढोतरी से उत्पादन पर 66.8 प्रतिशत का मुनाफा सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2400 रूपये प्रति क्चिंटल था जो अब 5650 रूपये पहुंच चुका है जो क 2.35 गुना की बढोतरी है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से पश्चिम बंगाल, असम और बिहार जैसे राज्यों को विशेष रूप से फायदा होगा। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार वर्ष 2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान जूट उत्पादक किसानों को दी गई एमएसपी राशि 1300 करोड़ रुपये है जबकि वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान दी गई राशि 441 करोड़ रुपये थी। देश में 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर करती है। लगभग 4 लाख श्रमिकों को जूट मिलों और जूट के व्यापार में प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। पिछले वर्ष 1 लाख 70 हजार किसानों से जूट खरीदा गया था। देश में 82 प्रतिशत जूट किसान पश्चिम बंगाल के हैं, जबकि शेष असम और बिहार में हैं और जूट उत्पादन में इनकी 9-9 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारतीय जूट निगम मूल्य समर्थन संचालन करने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है और ऐसे संचालन में होने वाले नुकसान, यदि कोई हो, की पूरी भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
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