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एक माह में हुई 411 करोड़ की खरीदी… कंपनी का डायरेक्टर गिरफ्तार

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) में 411 करोड़ के रिएजेंट और उपकरण खरीदी घोटाले के मामले में मोक्षित कॉर्पोरेशन के ...

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) में 411 करोड़ के रिएजेंट और उपकरण खरीदी घोटाले के मामले में मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम ने यह कार्रवाई की है। आरोपी को स्पेशल कोर्ट में पेश करने के बाद सात दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। शशांक चोपड़ा को दो दिनों से ईओडब्ल्यू कार्यालय बुलाकर पूछताछ की जा रही थी। दस्तावेजों के अनुसार, दुर्ग की कंपनी मोक्षित कॉर्पोरेशन दवा, मेडिकल उपकरण निर्माता व सप्लायर एजेंसी है। यह एजेंसी 2015 से उपकरण सप्लाई कर रही है। ईओडब्ल्यू ने सोमवार को रायपुर और दुर्ग स्थित फैक्ट्री व घरों में छापा मारा था। हरियाणा के पंचकूला में आठ टीमों ने छापा मारा था। मोक्षित कॉर्पोरेशन की रिएजेंट और मशीन आपूर्ति कराने में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में भी उठा था। कंपनी के खिलाफ पांच वर्षों में 660 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी करने के आरोप हैं। आरोप है कि कंपनी ने मार्केट दर से सौ गुना ज्यादा में उपलब्ध कराने का काम किया है। जिन स्वास्थ्य केंद्रों में रिएजेंट संरक्षित कर रखने की जगह नहीं थी, वहां भी सप्लाई कर दी गई। इसके चलते 20 करोड़ के रिएजेंट खराब हो गए। दवा निगम में हुए रिएजेंट और उपकरण खरीदी घोटाले में अहम तथ्य सामने आए है। पिछली सरकार में हुई खरीदी के दौरान अधिकारियों को पहले ही पता चल गया था कि सरकार बदलने वाली है। इसी वजह से 15 मई 2023 से 17 जून 2023 के बीच 411 करोड़ रुपये के रिऐजेंट की खरीदी की गई। वहीं, डीएचएस द्वारा सीजीएमएससी को भेज गए मांग पत्र में स्पष्ट लिखा गया था कि छह से आठ माह में किस्तों में क्रय आदेश जारी किया जाए। अधिकारियों को भरोसा था कि बिना बजट के खरीदी तो कर ली गई है, लेकिन खरीदी के बाद भी आचार संहिता लगने से पहले शासन से बजट मिल जाएगा। बतादें कि सीजीएमएससी के टेंडर क्रमांक 182 के लिए जांच चल रही है। इसमें बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी का खेल किया गया है। सूत्रों के अनुसार, डीएचएस के लिए पांच फीसदी कमीशन, सीजीएमएससी एमडी 10 प्रतिशत, तकनीकी प्रबंधक पांच और इसके अलावा अलग से विभागीय नेता व अन्य अधिकारियों के लिए 25 प्रतिशत कमीशन तय किया गया था। सीजीएमएससी और डीएचएस ने किसी भी तरह की दवा व उपकरण खरीदी के लिए छह से आठ विशेषज्ञों की क्रय समिति बनाई थी। इस समिति में जीएम टेक्निकल कमल पाटनावर, बायोमेडिकल इंजीनयर खिरौद्र रौतिया, टीपीओ अभिमन्यु सिंह, डीएचएस के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई, सीजीएमएससी के एमडी चंद्रकांत वर्मा और मेडिकल कालेज के एक डाक्टर को शामिल किया गया था। रिएजेंट की दर अनुबंध करने वाली क्रय समिति में शामिल अधिकारियों ने दर स्वीकृत कर सप्लायर से अनुबंध करने के लिए डीएचएच को पत्र भेजा था। इसके बाद डीएचएस ने खरीदी की अनुमति दी थी। तब सीजीएमएससी ने टेंडर जारी किया।

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