बिलासपुर। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रविवार को राज्य के छह जिलों में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में छापेमारी की। बिलासपुर में गांजा तस्क...
बिलासपुर। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रविवार को राज्य के छह जिलों में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में छापेमारी की। बिलासपुर में गांजा तस्करी के मामले में बर्खास्त जीआरपी के तीन आरक्षकों मन्नू प्रजापति, संतोष कुमार राठौर एवं लक्ष्मण गाइन के बिलासपुर, कोरबा, कोंडागांव व गरियाबंद के ठिकानों पर व जनपद पंचायत बोड़ला के सहायक लेखाधिकारी नरेन्द्र कुमार राउतकर के कवर्धा व राजनांदगांव के ठिकानों पर छापेमारी की गई। एसीबी रायपुर, बिलासपुर की टीम ने आरक्षकों व सहायक लेखाधिकारी की संपत्ति की जानकारी जुटाई। उनके स्वजन से पूछताछ की गई है। गांजा तस्करी के मामले में बर्खास्त आरक्षक के ठिकाने पर रविवार को एसीबी की टीम ने छापेमारी की। इस दौरान एसीबी की टीम ने आरक्षक के संपत्ति की जानकारी जुटाई। इसके अलावा स्वजन से पूछताछ की गई है। इस दौरान बाहर में पुलिस का पहरा लगा रहा। एसीबी की जांच के दौरान बाहरी लोगों के मकान में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। सिरगिट्टी के कंचन विहार में रहने वाले लक्ष्मण गाइन जीआरपी में आरक्षक थे। एसीसीयू की टीम ने उसे गांजा तस्करी के मामले में पकड़कर पूछताछ की। इसमें पता चला कि आरक्षक अपने तीन अन्य आरक्षक साथियों के साथ मिलकर गांजा तस्करी करता था। इसके अलावा ड्यूटी के दौरान जब्त गांजा की तस्करी करता था। जांच के बाद एसीसीयू की टीम आरक्षक को जीआरपी के हवाले कर दिया। जीआरपी ने आरक्षक लक्ष्मण गाइन और उसके साथी आरक्षक मन्नू प्रजापति, संतोष कुमार राठौर को जेल भेज दिया। जांच के बाद आरक्षकों को पुलिस विभाग से बर्खास्त कर दिया गया है। इधर एसीबी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। रविवार तड़के एसीबी की टीम ने बर्खास्त आरक्षक लक्ष्मण गाइन के सिरगिट्टी कंचन विहार स्थित मकान में दबिश दी। टीम के साथ स्थानीय पुलिस के जवान भी मौजूद रहे। एसीबी ने विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि आरक्षक के ठिकाने जेवर जब्त किया है। इसके अलावा जमीन और मकान के दस्तावेज, बैंक एकाउंट और निवेश संबंधित दस्तावेज को जब्त किया गया है। हालांकि एसीबी ने आरक्षक लक्ष्मण गाइन के ठिकाने से जब्त संपत्ति की जानकारी अलग से नहीं दी है। पुलिस को आरक्षक लक्ष्मण गाइन के खिलाफ पहले भी शिकायत मिलती रही है। रायपुर पुलिस ने आरक्षक लक्ष्मण को नशीले पदार्थ के तस्करी के मामले में जेल भेजा था। हालांकि वह न्यायालय में दोष मुक्त हो गया। इसके बाद उसने फिर से नौकरी ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद वह अपने अन्य साथियों के साथ गांजे का कारोबार शुरू कर दिया। गांजा सप्लाई के लिए उसने दो युवकों को रखा था। दोनों युवक उसके इशारे पर गांजा की सप्लाई करते थे।
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