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निवेश आधारित विकास, कनेक्टिविटी एवं आपसी व्यापार बढ़ायेंगे भारत-श्रीलंका

    नयी दिल्ली । भारत एवं श्रीलंका ने एक दूसरे के सुरक्षा एवं रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए वचनबद्धता व्यक्त करते हुए आज अपनी द्विपक्षीय स...

 

 नयी दिल्ली भारत एवं श्रीलंका ने एक दूसरे के सुरक्षा एवं रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए वचनबद्धता व्यक्त करते हुए आज अपनी द्विपक्षीय साझीदारी में निवेश आधारित विकास, कनेक्टिविटी एवं आपसी व्यापार बढ़ाने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत यात्रा पर यहां आए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच यहां हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में उक्त सहमति बनी। बैठक दोनों देशों के बीच क्षमता निर्माण एवं आपसी सहयोग के दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। बैठक में श्रीलंका ने तमिलनाडु के मछुआरों की समस्या के समाधान के लिए मानवीय रुख अपनाने के भारत के रुख का समर्थन किया और एक सर्वमान्य हल निकलने तक भारतीय मछुआरों द्वारा विवादित क्षेत्र में भारी मशीनों से मछली पकड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया। भारत ने तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा किये जाने की अपेक्षा व्यक्त की।
 

बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में श्री मोदी ने राष्ट्रपति दिसानायक का भारत में हार्दिक स्वागत करते हुए कहा, “हमें ख़ुशी है कि राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए आपने भारत चुना है। आज की इस यात्रा से हमारे संबंधों में नई गति और ऊर्जा का सृजन हो रहा है। हमने अपनी साझीदारी के लिए एक भविष्योन्मुखी विज़न अपनाया है। हमने अपनी आर्थिक साझीदारी में निवेश आधारित विकास और कनेक्टिविटी पर बल दिया है। और, निर्णय लिया है कि भौतिक, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी हमारी भागीदारी के अहम स्तंभ होंगे।” उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच विद्युत ग्रिड कनेक्टिविटी और बहु उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन स्थापित करने पर काम किया जायेगा। सामपुर सौर ऊर्जा परियोजना को गति दी जायेगी। साथ ही, श्रीलंका के बिजली संयंत्रों के लिए द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की आपूर्ति की जाएगी। द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए, दोनों पक्ष ‘एकता’ को जल्द संपन्न करने का प्रयास करेंगे।
 

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अब तक श्रीलंका को पांच अरब डॉलर के किफायती ऋण एवं अनुदान सहायता प्रदान की है। श्रीलंका के सभी 25 जिलों में हमारा सहयोग है। और हमारी परियोजनाओं का चयन सदैव साझीदार देशों की विकास प्राथमिकताओं पर आधारित होता है। अपने विकास सहयोग को आगे बढ़ाते हुए, हमने निर्णय लिया है कि माहो-अनुराधापुरम रेल सेक्शन के सिग्नलिंग सिस्टम, और कांकेसंथुराई बंदरगाह के पुनरुद्धार के लिए अनुदान सहायता दी जाएगी। शिक्षा सहयोग के तहत अगले वर्ष से जाफना और पूर्वी प्रान्त के विश्वविद्यालयों में 200 छात्रों को मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी। अगले पाँच वर्षों में श्रीलंका के 1500 लोकसेवकों को भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा। आवासन, नवीकरणीय ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के साथ-साथ, श्रीलंका में कृषि, डेयरी और फिशरीज के विकास के लिए भी भारत सहयोग देगा। श्रीलंका में यूनीक डिजिटल पहचान परियोजना के लिए भी भारत भागीदारी करेगा।
श्री मोदी ने कहा, “हम दोनों इस बात से पूरी तरह सहमत हैं, कि हमारे सुरक्षा हित एक दूसरे से जुड़े हैं। हमने रक्षा सहयोग समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने का निर्णय लिया है। हाइड्रोग्राफ़ी पर भी सहयोग की सहमति बनी है। हम मानते हैं कि कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव, क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और विकास के लिए अहम प्लेटफार्म है। इसके अंतर्गत, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबले, साइबर सुरक्षा, तस्करी और संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत जैसे विषयों पर सहयोग बढ़ाया जायेगा।”
 

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और श्रीलंका के लोगों के बीच संबंध हमारी सभ्यताओं से जुड़े हैं। जब भारत में पाली भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया गया, तो श्रीलंका में भी उसकी खुशी मनाई गई। फ़ेरी सेवा और चेन्नई-ज़ाफ़ना विमान कनेक्टिविटी से पर्यटन को बढ़ावा मिला है, और साथ ही, हमारे सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूती मिली है। उन्होंने कहा, “हमने निर्णय लिया है कि नागपट्टिनम और कन्केसंथूराई फेरी सेवा की सफल शुरुआत के बाद, अब रामेश्वरम और तलैमन्नार के बीच फ़ेरी सेवा शुरू की जायेगी। ‘बौद्ध सर्किट’ और श्रीलंका के ‘रामायण ट्रेल’ के माध्यम से पर्यटन की अपार संभावनाओं को साकार करने पर भी काम किया जायेगा।” उन्होंने कहा, “हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। हम सहमत हैं, कि हमें इस मामले में एक मानवीय रुख के साथ आगे बढ़ना चाहिए। हमने श्रीलंका में पुनर्निर्माण और मेलमिलाप पर भी बात की। राष्ट्रपति दिसानायके ने अपने समावेशी दृष्टिकोण के बारे में मुझे बताया। हम आशा करते हैं कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। और श्रीलंका के संविधान के पूर्ण क्रियान्वयन, और प्रांतीय परिषद के चुनाव कराने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेगी।”
 

श्री मोदी ने कहा, “मैंने राष्ट्रपति दिसानायके को आश्वासन दिया है, कि श्रीलंका के विकास के लिए उनके प्रयासों में, भारत एक भरोसेमंद और विश्वसनीय साझीदार बना रहेगा। मैं उनकी बोधगया यात्रा के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रेरणा से भरपूर हो।” श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा “श्रीलंका के राष्ट्रपति बनने के बाद, यह मेरी पहली विदेश यात्रा है। मैं बहुत खुश हूं कि मैं अपनी पहली राजकीय यात्रा पर दिल्ली आ सका। मैं इसके लिए भारत को धन्यवाद देना चाहता हूं मुझे निमंत्रण दिया गया और मेरे सहित पूरे प्रतिनिधिमंडल को दिए गए गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू को धन्यवाद देना चाहता हूं। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच सहयोग को और विकसित करने का मार्ग प्रशस्त किया।”
 

श्री दिसानायके ने कहा, “सामाजिक सुरक्षा और टिकाऊ विकास वे आधारशिलाएं हैं जिनके आधार पर हमारे देशों की जनता ने हम दोनों को सत्ता में चुना है। यह वह संसद है जिसमें एक ही पार्टी के सबसे अधिक सांसद हैं। इतिहास में कभी भी हमारी ऐसी रचना नहीं हुई। नेशनल पीपुल्स पावर ने हाल ही में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव और आम चुनाव में ऐतिहासिक चुनावी जीत हासिल की। श्रीलंका के लोगों द्वारा व्यक्त किए गए संदेश ने श्रीलंका में एक नई संस्कृति के उभरने का मार्ग प्रशस्त किया। लोगों ने हम पर अपना विश्वास रखा है। देश के सभी हिस्सों में सभी समुदायों, पंथों और धर्मों के लोगों ने हमें वोट दिया है। विविधता लोकतंत्र की आधारशिला है।”
 

श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कहा, “हमने लगभग 2 साल पहले एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना किया था और भारत ने उस दलदल से बाहर निकलने में हमारा भरपूर समर्थन किया था। इसके बाद भी इसने हमें काफी मदद की है, खासकर ऋण-मुक्त संरचना प्रक्रिया में। मुझे पता है कि भारत की विदेश नीति में श्रीलंका का स्थान बहुत महत्वपूर्ण स्थिति में है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हमें पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और उन्होंने हमें यह भी आश्वासन दिया कि वह हमेशा श्रीलंका की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करेंगे।” श्री दिसानायके ने यह भी कहा, “मैंने भारत के प्रधानमंत्री को यह आश्वासन भी दिया है कि हम अपनी भूमि का किसी भी तरह से ऐसा उपयोग नहीं करने देंगे जो भारत के हित के लिए हानिकारक हो। भारत के साथ सहयोग निश्चित रूप से फलेगा-फूलेगा और मैं भारत के प्रति हमारे निरंतर समर्थन का आश्वासन देना चाहता हूं।” इससे पहले श्री दिसानायके का आज प्रातः राष्ट्रपति भवन परिसर में रस्मी स्वागत किया गया। इसके बाद मेहमान नेता ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री दिसानायके राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मिलेंगे और कल बोधगया भी जाएंगे।

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