तीरंदाजी में कर्नाटक और पूर्वी उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन 24वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगिता का समापन विजेताओ...
तीरंदाजी में कर्नाटक और पूर्वी उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन
24वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगिता का समापन
विजेताओं को ट्रॉफी, मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर किया गया सम्मानित
रायपुर । राजधानी रायपुर में चल रहीं 24वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगिता का
आज समापन हो गया। समापन समारोह के दौरान फुटबॉल के फाइनल मैच में संथाल
परगना ने केरल को पेनाल्टी शूट में एक के मुकाबले चार गोलों से हराकर
चैंपियन की ट्रॉफी जीती। केरल की टीम उपविजेता रहीं वहीं झारखण्ड की टीम ने
तीसरा स्थान प्राप्त किया। तीरंदाजी की प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर
प्रदेश के बालक तीरंदाज और कर्नाटक की बालिकाएं छायी रहीं। इस पूरी
प्रतियोगिता में फुटबॉल और तीरंदाजी के खेलों में लगभग 600 जनजातीय
बालक-बालिकाओं ने हिस्सा लिया। अण्डमान, निकोबार से लेकर पूरे देश के लगभग
30 प्रांतों से जनजातीय खिलाड़ी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हुए। पड़ोसी देश
नेपाल से भी खिलाड़ियों के एक दल ने तीरंदाजी प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया।
छत्तीसगढ़ के वन मंत्री एवं स्वागत समिति के अध्यक्ष श्री केदार कश्यप और
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने कोटा स्टेडियम पहुंचकर
खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया उन्होंने सभी खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त
किया और बेहतरीन खेल दिखाने के लिए सभी का हौसला बढ़ाया। समापन समारोह में
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सत्येन्द्र
सिंह, अखिल भारतीय खेल-कूद प्रमुख श्री फूल सिंह लेप्चा, राष्ट्रीय
महामंत्री योगेश बापट, छत्तीसगढ़ प्रांत के अध्यक्ष श्री उमेश कच्छप और
संगठन मंत्री श्री रामनाथ कश्यप, सचिव श्री अनुराग जैन और स्वागत समिति के
सचिव श्री अमर बंसल, क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री प्रवीण ढोलके, सह संगठन
मंत्री श्री सुभाष बडोले, पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के शारीरिक
शिक्षा विभाग प्रमुख प्रोफेसर राजीव चौधरी, वनवासी विकास समिति महानगर
रायपुर के अध्यक्ष श्री रवि गोयल और सचिव श्री राजीव शर्मा सहित सह खेल-कूद
प्रमुख श्री पंकज सिंह, श्रीमती संगीता चौबे, डॉ. विजय साण्डिल्य, डॉ.
आशुतोष साण्डिल्य, डॉ. मीना मूर्मू, श्री टिशेन भगत श्री गोपाल वियानी भी
उपस्थित रहे। संभवतः जनजातीय खिलाड़ियों की यह विश्व की सबसे बड़ी प्रतियोगिता रू अखिल
भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित इस 24वीं राष्ट्रीय वनवासी
क्रीड़ा प्रतियोगिता के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय संगठन
मंत्री श्री अतुल जोग ने कहा कि यह प्रतियोगिता 1991 से अनवरत आयोजित होती आ
रहीं है और यह प्रतियोगिता विशुद्ध रूप से जनजातीय खिलाड़ियों की सहभागिता
वाली विश्व की सबसे बड़ी प्रतियोगिता है। श्री जोग ने यह भी बताया कि इससे
पहले भोपाल में आयोजित प्रतियोगिता में केवल तीरंदाजी प्रतिस्पर्धा में ही
316 जनजातीय तीरंदाजों ने हिस्सा लिया था और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड
में अपना नाम दर्ज कराया था। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल मेडल जीतने या
खेल खेलने तक सीमित नहीं है बल्कि यह आयोजन खिलाड़ियों में राष्ट्रीय एकता
की भावना और हम सबके एक होने के भाव को जगाने वाला है। उन्होंने खिलाड़ियों
से आग्रह किया कि हमेशा कड़ी मेहनत करें, खेल से जुड़े रहें और लगातार अभ्यास
करें ताकि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश
का नाम रौशन किया जा सके। खेल की ना भाषा, ना कोई सीमा, केवल प्रतिभा ही पहचान रू समापन समारोह को
वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एच के नागु ने भी संबोधित
किया। उन्होंने खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि खेलों की ना तो
कोई भाषा है, ना ही कोई सीमा। खेल प्रतिभा ही खिलाड़ी की पहचान है। श्री
नागु ने कहा शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ खेल जीवन संघर्ष के लिए भी हमें
तैयार करते हैं। उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा जनजातीय खिलाड़ियों की
प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के
लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी दी। श्री नागु ने सभी विजेताओं को
शुभकानाएं दी। फुटबॉल के 22 मैच, 122 गोल, 9 मैचों का परिणाम टाई ब्रेकर या पेनाल्टी शूट
से रू 24 वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगिता में फुटबॉल के जनजातीय
खिलाड़ियों ने अपना खूब जौहर दिखाया। पूरी प्रतियोगिता में फुटबॉल के 22 मैच
कोटा स्टेडियम और यूनिवर्सिटी खेल मैदान पर खेले गये। जनजातीय खिलाड़ियों
ने इन मैचों में 122 गोल दागकर अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया। खेल के
प्रति खिलाड़ियों का समर्पण और उनकी कुशलता इसी से सिद्ध होती है कि पूरी
प्रतियोगिता में 9 मैचों का परिणाम टाई ब्रेकर या पेनाल्टी शूट से हुआ।
फुटबॉल के खिलाड़ियों ने एक से बढ़कर एक प्रतिभावों का प्रदर्शन किया। अंत
में संथाल परगना ने चौंपियन्स ट्रॉफी जीती और केरल उपविजेता रहा। संथाल
परगना के गोलकीपर विनय कुण्डू ने फाइनल मैच में पेनाल्टी शूट के 4 गोल
बचाकर सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर का मेडल प्राप्त किया वहीं संथाल परगना के ही
खिलाड़ी विमल मराण्डी मेन ऑफ द टूर्नामेंट रहें। फाइनल मैच में केरल के
खिलाड़ी अभिनंद को मेन ऑफ द मैच घोषित किया गया।
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