बिलासपुर। एआइ संगी न केवल इंसानों की तरह परिचय देने और सवालों के जवाब देने में सक्षम है, बल्कि इसे लगातार और भी अधिक उन्नत बनाया जा रहा है...
बिलासपुर। एआइ संगी न केवल इंसानों की तरह परिचय देने और सवालों के जवाब देने में सक्षम है, बल्कि इसे लगातार और भी अधिक उन्नत बनाया जा रहा है, ताकि यह विजन के माध्यम से इंसानों की तरह गतिविधियां कर सके। एआइ संगी की वेशभूषा छत्तीसगढ़ी है और इसे नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का उपयोग करके छत्तीसगढ़ी भाषा में संवाद करने के लिए तैयार किया जा रहा है।
इस रोबोट का उद्देश्य न केवल तकनीकी प्रगति को दर्शाना है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान को भी बढ़ावा देना है। विभागाध्यक्ष डा.एचएस होता के निर्देशन में इसे तैयार किया गया है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ एआई एक अभिनव योजना है जिसके माध्यम से प्रदेश में एआई इकोसिस्टम विकसित करने की योजना है। इसके तहत कार्यशालाओं, संवेदीकरण कार्यक्रम, सेमिनार आदि विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ एआइ का उद्देश्य राज्य को एआइ के क्षेत्र में सशक्त बनाना है और इस महत्वाकांक्षी योजना को भारत सरकार के इंडिया एआइ की तर्ज पर प्रारंभ किया गया है।
कम्प्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग स्नातक स्तर पर बीसीए एवं बीएससी तथा स्नातकोत्तर स्तर पर एमसीए एवं एमएससी (कम्प्यूटर साइंस) पाठ्यक्रम संचालित करता है। इसके अतिरिक्त साइबर सिक्योरिटी, साइबर ला और अन्य प्रासंगिक विषयों में स्नातकोत्तर पत्रोपाधि पाठ्यक्रम भी संचालित हो रहे हैं, जिनमें हर वर्ष प्रवेश परीक्षा और काउंसलिंग के माध्यम से प्रवेश लिया जाता है। इस वर्ष भी सभी पाठ्यक्रमों के लिए आनलाइन आवेदनों की प्रक्रिया जारी है।
एआइ व आइओटी केंद्र की स्थापना
विभाग में अत्याधुनिक कम्प्यूटर लैब और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), इंटरनेट आफ थिंग्स (आइओटी) से संबंधित उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई है, जहां स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र प्रोजेक्ट और शोध संबंधी कार्य करते हैं। विभाग द्वारा प्रत्येक सेमेस्टर में नवीन तकनीक से संबंधित छात्र विकास कार्यक्रम, कार्यशाला, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस, हैकाथान और प्रदर्शनी आयोजित की जाती हैं।
तकनीकी प्रगति का प्रतीक
विभागाध्यक्ष डा. होता के अनुसार, एआइ संगी का निर्माण न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है बल्कि यह छात्रों की प्रतिभा और उनके नवाचार को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रोजेक्ट्स छात्रों को आधुनिक तकनीक का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं और उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करते हैं।
विशेषज्ञों की राय छात्रों के लिए उपयोगी
विभाग के छात्रों का प्रयास सराहनीय है। मैंने खुद भी राष्ट्रीय सेमीनार के दौरान एआइ रोबोट से परिचित हुआ हूं। विभाग में उत्कृष्ट और अत्याधुनिक तकनीक से संबंधित उपकरणों की उपलब्धता निश्चित रूप से यहां प्रवेशित छात्रों के लिए उपयोगी होगी। डा.ओपी. व्यास, प्राध्यापक, कम्प्यूटर साइंस आइआइटी इलाहाबाद
अत्याधुनिक ज्ञान से परिचय
विभाग छात्रों को विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं, छात्र विकास कार्यक्रम और हैकाथान के माध्यम से अत्याधुनिक ज्ञान उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जो छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा। इस कड़ी में एआइ संगी युवाओं का भविष्य निर्माण करेगा। डा. अभिषेक दुबे, प्राध्यापक, आईटी विभाग प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान विश्वविद्यालय, सलालाह, ओमान
देखने का अवसर मिला हैकाथान में एआइ और आइओटी संबंधी विभिन्न प्रोजेक्ट को देखने का अवसर मिला। इस प्रकार के आयोजनों में छात्रों को नवीन तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आइओटी के प्रायोगिक ज्ञान और उसका विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग समझने में सहायता मिलेगी। डा.तृप्ति स्वर्णकार, प्राध्यापक सीएस एनआइटी रायपुर
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