बिलासपुर। शहर में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें दूसरों की जान बचाने का जुनून है। ये लोग अपने बहुमूल्य रक्त से लोगों की जान बचाते आ रहे हैं। ...
बिलासपुर। शहर में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें दूसरों की जान बचाने का जुनून है। ये लोग अपने बहुमूल्य रक्त से लोगों की जान बचाते आ रहे हैं। हर तीन महीने में रक्तदान करते हैं। एक तरह से ये अब जीवनदाता बन चुके हैं। इनमें जज्बा ऐसा है कि यदि उन्हें पता चल जाए कहीं किसी मरीज को रक्त की जरूरत है, वैसे ही तत्काल वे मरीज के पास भगवान का दूसरा रूप बनकर पहुंच जाते हैं और समय पर रक्तदान कर जीवन बचाने का काम करते हैं। ये ही विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून को चरितार्थ कर रहे हैं। 61 बार रक्तदान कर चुके प्रभात साहू का कहना है कि कई बार देखने को मिलता है कि समय पर रक्त नहीं मिलने पर मरीज की जान चली गई। वे ऐसे ही मरीजों के स्वजन की पीड़ा को समझते हैं। इसलिए नियमित अंतराल में रक्तदान कर लोगों की जान बचाने की कोशिश करते हैं। इससे सुकून मिलता है। हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। ये आपके लिए भी और दूसरों के लिए भी अच्छा रहता है। 57 साल के किशोर नागदेव 70 बार रक्तदान कर चुके हैं। इनका का कहना है कि अक्सर ये देखने को मिलता है कि रेयर ग्रुप के ओ निगेटिव रक्त की व्यवस्था करने के लिए लोग काफी परेशान होते हैं। कई बार हालत ऐसी बनती है कि ब्लड नहीं मिल पाता। मेरा सौभाग्य है कि मेरा ब्लड रेयर है। ऐसे में जब किसी को रक्त की आवश्यकता होती है, तब मैं रक्तदान करता हूं। मैं रेयर ब्लड ग्रुप की महत्ता को समझता हूं।
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