बिलासपुर। छोटी-बड़ी गलतियों को नजर अंदाज किया जाता है। यह मानव स्वभाव ही है कि अपने दाग खुद को दिखते ही नहीं। अब भला पुलिस इससे अछूता कै...
बिलासपुर।
छोटी-बड़ी गलतियों को नजर अंदाज किया जाता है। यह मानव स्वभाव ही है कि
अपने दाग खुद को दिखते ही नहीं। अब भला पुलिस इससे अछूता कैसे रहे। अपनों
की गलतियों को नजर अंदाज करने और पर्दा डालने की कोशिश लाजमी भी है। पुलिस
ने बड़े गिरोह को पकड़ लिया। गिरोह के सदस्यों पर गंभीर धाराओं में जुर्म
दर्ज कर जेल भेज दिया गया। मगर लपेटे में एक अपना भी आ गया। अब अपने तो
अपने हैं। चाहे कुछ भी हो गलती माफ। हो हल्ला से बचने विभागीय जांच बिठा दी
गई। अब विभागीय जांच का तो सबको पता ही है। विभाग भी अपना और लोग भी अपने
तो जांच में क्या होगा सबको अंदाजा है। इधर जांच शुरू भी नहीं हुई है
लीपापोती शुरु हो गई है। बचाने के सारे पैंतरे पहले ही तय हैं। बस मुहर
लगना बाकी है। अब हर हाथ में मोबाइल और हर चौक पर तीसरी आंख का पहरा है।
इसकी जानकारी बदमाशों को है, इसलिए बदमाशियां भी देख समझकर करते हैं। इधर
पुलिस के जवान ही इससे अनजान बने रहते हैं। इसी तरह की नादानी चुनाव के
दौरान जवानों ने की। स्ट्रांग रूम के पास ड्यूटी के दौरान ही बावन परियों
से इश्क लड़ाते कैमरे में कैद हो गए। जहां पर मीडिया से लेकर अधिकारियों का
हुजूम है, वहीं पर नादानी कर बैठे। एक दो नहीं कई जवान दांव लगाते नजर आए।
लेकिन साहब का क्या? साहब ने तो दो को निपटा कर इतिश्री कर ली। बाकियों के
लिए नंबर टू के लिए छोड़ दिया। अब नंबर टू मामले की जांच कर रहे हैं। जांच
में पता नहीं क्या सामने आता है। इधर वीडियो सामने है। इसमें कई जवान नजर आ
रहे हैं। कुछ नगरसेना के भी हैं। इन सबके लिए जांच होना है। जांच में कौन
बचता है, कौन निपटता है, अब वीडियो से ही पता चलेगा। कुछ भी हो लेकिन विभाग
कमाल का है। प्रहार के नाम पर ऐसा हंगामा कि देखते ही बनता है। लोगों के
बीच पुलिस का भय केवल साहब लोगों के जुबान पर है। हकीकत में दिखाई कुछ नहीं
दे रहा है। अरपा पार बदमाशों ने ऐसा कोहराम मचाया कि लोगों के पांव थम गए।
वहीं, पर खड़े लोगों ने बदमाशों की हरकत का वीडियो बनाना शुरू कर दिया।
इधर वीडियो वायरल हुआ उधर पुलिस मौके पर पहुंच गई। मामले को भांपते हुए
आनन-फानन में कई युवकों को धर लिया गया। लेकिन इन सबके बीच नशे के कारोबार
से जुड़े लोगों पर किस कदर नरमी बरती गई देखते ही बनती है। नशे के कारोबार
से जुड़े छुटके और पाव भर के लोगों को धर लिया गया। इन पर कार्रवाई कर जेल
भी भेज दिया गया। इधर बड़े सप्लायर जो शहर भर में नशे का कोहराम मचा रहे
अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर ही हैं। पता नहीं क्या नशा छोड़ दिया है कि ये
दिखाई ही नहीं पड़ते। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा का बिगुल बज गया। इस
दौरान जिले में शांति व्यवस्था के साथ ही चुनाव प्रबंध भी जरूरी था। इसके
कारण शराब कोचियों को सख्त हिदायत दी गई। कोई बदमाशी नहीं करेगा। जो भी
होगा सब दायरे में ही रहकर होगा। कोचियों को भी समय का पूरा इल्म था। इसके
कारण सभी दुबके-छुपके काम करते रहे। अब चुनाव का शोर थम गया है। शराब का
पूरा कारोबार थामने वाले विभाग के लोग सक्रिय हो गए हैं। इधर कोचियों की भी
निकल पड़ी है। कारोबार फिर से जोरो पर है। इधर कट पाने के लिए विभाग के
कुछ लोग अपने-अपने क्षेत्र में छोटे-बड़े लोगों से बैठक जमा रहे हैं। हिसाब
और लिस्ट पुराना है ही। इसी के आधार पर माल-पानी की चर्चा चल रही है। अब
भला पहले से चल रहे दस्तूर से पीछे हटेगा कौन। लेकिन मिलना मिलाना भी जरूरी
है, इसीलिए साहब भी हाथ पैर मार रहे हैं।
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