भाषाई विविधता भारतीय समाज की अनूठी विरासत : राज्यपाल राज्यपाल श्री पटेल द्वारा सप्रे संग्रहालय में आयोजित भाषा महोत्सव का शुभारंभ भोपाल :...
भाषाई विविधता भारतीय समाज की अनूठी विरासत : राज्यपाल
राज्यपाल श्री पटेल द्वारा सप्रे संग्रहालय में आयोजित भाषा महोत्सव का शुभारंभ
भोपाल
: राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि समाज मातृभाषा के प्रति गौरव
भाव का जागरण करे। भाषा की विविधता भारतीय समाज की अनूठी विरासत है।
राज्यपाल श्री पटेल शनिवार को माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय
एवं शोध संस्थान में आयोजित भारतीय भाषा महोत्सव के शुभारम्भ सत्र को
संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में तुलसी मानस प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष
श्री रघुनंदन शर्मा का समाज सेवी कार्यों के लिए सार्वजनिक सम्मान किया
गया। इस अवसर पर राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष श्री सुखदेव प्रसाद
दुबे मंचासीन थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि सोशल मीडिया में
बातचीत और सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा का हमारी भाषाओं पर गहरा
प्रभाव पड़ रहा है। भाषाओं के अपभ्रंश स्वरूप का जिस तेजी से उपयोग किया जा
रहा है, यह चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि भाषा की विविधता की विरासत को
मजबूत बनाने और विभिन्न भाषा-भाषी व्यक्तियों को एकता के सूत्र में पिरोनें
में हिन्दी की सम्भावनाएं बहुत अधिक है। जरूरी है कि भाषागत आग्रह में
उग्रता से बचा जायें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह महोत्सव हिन्दी को
समृद्ध बनाने के प्रयासों को मजबूती देगा। उन्होंने संस्थान के संस्थापक
श्री विजय दत्त श्रीधर के प्रयासों और समर्पण की सराहना की। उनके परिवार की
तीन पीढ़ियों के संस्थान सेवा में संलग्न होने को अत्यंत सराहनीय योगदान
बताया।
पद्मश्री श्री विष्णु पंड्या ने कहा कि भारतीय भाषा महोत्सव
विविध भारतीय संज्ञा को एकत्रित कर हिन्दी की प्रतिष्ठा का आयोजन है।
उन्होंने अपनी पुस्तक के केन्द्रीय विषय पंडित श्यामजी कृष्णवर्मा को भारत
के सशस्त्र स्वातंत्र्य धारा का नेतृत्व बताया, जिन्होंने पूरी दुनिया में
भारत के स्वातंत्र्य जागरण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने बताया
कि वर्ष 1930 में जिनेवा में पंडित कृष्णवर्मा के देहावसान के बाद भी उनकी
अस्थियां सुरक्षित रखी गई, क्योंकि उनकी इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को
स्वतंत्र भारत में ही विसर्जित की जाए। उन्होंने बताया कि आजादी के कई
दशकों बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी उनकी
अस्थियों को भारत लाए और कच्छ में उनकी जन्मभूमि में स्मारक का निर्माण
कराया।
हिंदी सेवी, संपादक, सहित्यकार श्री कैलाशचंद्र पंत ने कहा
कि भारतीय भाषाओं में रचित साहित्य में भारतीय लोकजीवन की जो झलक दिखाई
देती है, वह भारतीय संस्कृति के एकात्म भाव को बताता है। उन्होंने आशा जताई
कि यह महोत्सव भारतीय भाषाओं की समृद्धता को और समृद्ध करेगा। आयोजन
विश्वविद्यालय को भारतीय ज्ञान परंपरा को सहेजने के लिये आगे आने के लिए
प्रेरित करेगा।
संग्रहालय के संस्थापक संयोजक श्री विजयदत्त श्रीधर
ने रूपरेखा पर प्रकाश डाला। बताया कि राष्ट्रीय एकता और भावनात्मक अखंडता
में भाषा की भूमिका पर विचार के लिए भाषा महोत्सव का आयोजन किया गया है।
उन्होंने लोकार्पित पुस्तकों के बारे में जानकारी दी और अतिथियों का आभार
जताया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कार्यक्रम में क्रांति की खोज
में पंडित श्यामजी कष्णवर्मा लेखक श्री विष्णु पण्ड्या एवं सुश्री आरती
पाण्ड्या, कैलाशचन्द्र पंत: हिन्दी जीवनव्रती, संपादक डॉ. मंगला अनुज, और
पत्रिका अक्षरा के भारतीय भाषा विशेषांक प्रबंध संपादक डॉ. संजय सक्सेना,
अयोध्या 22 जनवरी लेखक संजीव शर्मा, लाजवाब शख्सियतें : कुछ लाइक्स,लेखक
अजय बोकिल का लोकार्पण किया। इस अवसर पर राज्यपाल श्री पटेल को प्रमाणिक
वृहद बुन्देली शब्दकोष, हमारा बुन्देलखंड, बुन्देलखण्ड विश्वकोश पुस्तकें
भेंट की गई।
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