रायपुर। राजधानी रायपुर में लंबे समय से सक्रिय चोर रोज दो से तीन दोपहिया वाहन उड़ा रहे हैं, लेकिन पुलिस अधिकांश मामलों की एफआइआर ही दर्ज नह...
रायपुर। राजधानी रायपुर में लंबे समय से सक्रिय चोर रोज दो से तीन दोपहिया वाहन उड़ा रहे हैं, लेकिन पुलिस अधिकांश मामलों की एफआइआर ही दर्ज नहीं करती है। जांच में साफ हुआ है कि ये काम बाहरी नहीं, बल्कि लोकल चोरों का है। नशे के आदी ये चोर दोपहिया चुराने के बाद कबाड़ियों को दो से पांच हजार रुपये में बेच देते हैं। चोर इतने शातिर हैं कि शहर के दोपहिया ग्रामीण और ग्रामीण इलाके से चुराए गए दोपहिया वाहन को शहर के कबाड़ियों को बेचते हैं, ताकि पुलिस के हाथ उन तक न पहुंचें। कबाड़ी भी पुलिस की पकड़ से बचने के लिए इन दोपहिया वाहनों को रातों-रात काटकर स्क्रैप में तब्दील कर देते हैं। शहर से अधिकतर दोपहिया वाहन शराब दुकानों और बार के आसपास से चोरी होते थे, लेकिन अब सरकारी कार्यालयों और भीड़भाड़ वाले इलाके से भी चोरी हो रहे हैं। पिछले चार महीने के भीतर ही 50 से अधिक दोपहिया वाहन चोरी होने की शिकायत अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज की जा चुकी है। लिहाजा अब पुलिस कबाड़ियों के यार्ड में डंप हो रहे दोपहिया वाहनों की तस्दीक करने में जुट गई है। शहर से अधिकांश दोपहिया वाहन शराब दुकानों और बार के आसपास से चोरी हो रहे हैं, लेकिन अब चोरों की निगाह सरकारी कार्यालयों और भीड़भाड़ वाले इलाके में खड़े दोपहिया वाहन पर भी लग गई है। पुलिस की तफ्तीश में यह जानकारी सामने आई है कि दोपहिया वाहन चोरी करने वाले शहर में कई चोर सक्रिय हैं। इनमें कुछ नाबालिगों का गिरोह भी है। वाहन चोरी के कई मामलों में यह देखा गया है कि दोपहिया पुराना होने के कारण पीड़ित चोरी की रिपोर्ट लिखाने से बचता है, क्योंकि उसे कई बार थाने के चक्कर काटने पड़ते हैं। पुलिसकर्मी भी वाहन चोरी होने पर उसे तत्काल तलाशने की जहमत नहीं उठाते। ऐसे में वाहन चोर पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहते हैं।
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