इंदौर। वर्तमान स्थिति में हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि गाय का शुद्ध दूध कैसे मिले। हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक यह तथ्य स्वीकार नहीं किया...
इंदौर। वर्तमान स्थिति में हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि गाय का शुद्ध दूध कैसे मिले। हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक यह तथ्य स्वीकार नहीं किया है कि ए-वन और ए-टू दूध क्या है। हम तो केवल इस बात की गारंटी चाहते हैं कि हमें मिल रहा गाय का दूध शुद्ध, पौष्टिक और मिलावट रहित हो। हम दूध का प्रयोग बीमारों से लेकर बच्चों और बूढ़ों तक में करते हैं। यदि दूध मिलावटी या सिंथेटिक हुआ तो यह और ज्यादा गंभीर बीमारियों को जन्म देने वाला हो सकता है। सरकार को भी समय रहते ऐसे नकली और मिलावटी दूध की धरपकड़ तेज करने का अभियान चलाना चाहिए। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अभा गोसेवा प्रशिक्षण प्रमुख केईएन राघवन ने शुक्रवार को खेल प्रशाल स्थित लाभ मंडपम सभागृह में कही। वे अहिल्या माता गोशाला, जीव दया मंडल और गो अमृत एवं जयश्री कामधेनु के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘गाय के दूध से सावधान’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में गोदुग्ध की बढ़ती मांग के कारण अब कृत्रिम या सिंथेटिक दूध का कारोबार फल-फूल रहा है। पहले उत्तर भारत के राज्यों और शहरों में ही इस नकली दूध की बिक्री हो रही थी, लेकिन अब दक्षिण भारत के कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में भी सिंथेटिक दूध खपाया जाने लगा है। शुद्ध और सिंथेटिक दूध के दाम में भारी अंतर होने के कारण भी यह जानलेवा कारोबार तेजी से पूरे देश में फल-फूल रहा है। सिंथेटिक दूध के कारण अनेक गंभीर बीमारियां भी हो रही हैं। दूध के नाम पर जहर की बिक्री की इस प्रवृत्ति से आम लोगों को सजग रहने की जरूरत है। प्रारंभ में अहिल्या माता गोशाला की ओर से अध्यक्ष रवि सेठी, राजेश गुप्ता, सीके अग्रवाल, पुष्पेन्द्र धनोतिया, राकेश पोरवाल, पुष्यमित्र पांडे एवं निक्की सुरेका आदि ने उनका स्वागत किया। इस मौके पर अनेक दूध विक्रेता, गोशाला संचालक एवं उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
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