जकार्ता । दक्षिण- पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान) के 10 सदस्य देशों ने इच्छा जतायी है कि भारत को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी...
जकार्ता । दक्षिण- पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान) के 10 सदस्य देशों ने इच्छा जतायी है कि भारत को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल होना चाहिए। आसियान के सदस्य देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। इंडोनेशिया के दौरे पर आए भारतीय मीडिया के प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए आसियान के महासचिव डॉ. काओ किम होर्न ने कहा कि समावेशी, खुले और नियम-आधारित व्यापार समझौते से सभी भागीदारों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि आरसीईपी में शामिल होने से भारत और अन्य देशों को लाभ होगा, क्योंकि इससे अधिक बाजार उपलब्ध होगी तथा यह व्यापार सौदे पारस्परिक हैं। भारत 2019 में चीन के नेतृत्व वाले आरसीईपी से यह कहते हुए बाहर हो गया था कि यह निर्णय स्थानीय उद्योग और राष्ट्र के हित में लिया गया था। उस समय एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि समझौते की संरचना भारत की चिंताओं का समाधान नहीं करती है। उल्लेखनीय है कि आरसीईपी आसियान सदस्य देशों और पांच अन्य देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। यह दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में से एक है, जिसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी और दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी शामिल है। भारत और आसियान के सदस्य देशों के बीच बेहतर हवाई संपर्क की आवश्यकता पर जोर देते हुए, डॉ. काओ ने उदार विमानन समझौते का आह्वान किया, जो दोनों पक्षों के बीच सीधी उड़ानों की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद पर्यटन क्षेत्र में सुधार हुआ है और उन्होंने लोकप्रिय इंडोनेशियाई गंतव्य बाली में भारतीय पर्यटकों की संख्या में वृद्धि का उदाहरण दिया। आसियान महासचिव ने कहा कि भारत और आसियान विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं और अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा चल रही है। उन्होंने दोनों पक्षों की जनसंख्या के आकार पर प्रकाश डालते हुए भारत और आसियान के बीच विशाल व्यापार और निवेश की संभावनाओं का उल्लेख किया। विशाल बाजार आकार का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि जहां भारत में 1.4 अरब लोग हैं। वहीं आसियान क्षेत्र 680 मिलियन लोगों का घर है। अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वित्त वर्ष 2013 में आसियान के साथ व्यापार भारत के वैश्विक व्यापार का 11.3 फीसदी था। आसियान महासचिव ने डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्थिरता और ऊर्जा क्षेत्र जैसे सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए कहा, "हमारे और भारत के बीच साझेदारी से हमें लाभ होगा। फिलहाल, हमारे और भारत के बीच सहयोग के कई तंत्र हैं।" इस साल सितंबर में आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जकार्ता यात्रा को याद करते हुए उन्होंने कहा कि समूह भारत के साथ अपनी साझेदारी को उच्च महत्व देता है। उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि उच्च स्तर पर दोनों पक्षों के नेता अक्सर मिल पाते हैं। इसका मतलब है कि दोनों पक्षों के साझा हित हैं। डॉ. काओ ने कहा कि आसियान ने हमेशा रचनात्मक जुड़ाव, संवाद और परामर्श की वकालत की है। यूरोप और मध्य पूर्व में चल रहे संघर्षों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र (संरा ) इन्हें सुलझाने की दिशा में रचनात्मक भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि संरा के पास संघर्ष के समाधान की दिशा में काम करने के साधन और निश्चित रूप से प्रतिबद्धता है, खासकर जब हम मानवीय त्रासदी को सामने आते हुए देखते हैं...।” भारतीय मीडिया के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने आसियान के समुदाय-निर्माण प्रयासों में आसियान-भारत संवाद संबंधों के योगदान पर अपने विचार साझा किए और सांस्कृतिक क्षेत्रों में आसियान और भारत के बीच अधिक सहयोग को प्रोत्साहित करने में विशेष रूप से सांस्कृतिक आदान-प्रदान, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच परस्पर संबंध के क्षेत्र में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
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