बिलासपुर । सात नवंबर को शिशु संरक्षण दिवस मनाए जाते हैं। शिशु देश का भविष्य होते हैं। इसलिए इन्हें सुरक्षा प्रदान करना बहुत आवश्यक है। म...
बिलासपुर । सात नवंबर को शिशु संरक्षण दिवस मनाए जाते हैं। शिशु देश का भविष्य होते हैं। इसलिए इन्हें सुरक्षा प्रदान करना बहुत आवश्यक है। माता-पिता द्वारा छोड़े गए नवजात शिशुओं की शहर में स्थित सेवा भारती मातृ छाया में लालन-पालन की जा रही है। यहां संचालक से लेकर महिला कर्मचारी 24 घंटे मेहनत करके शिशुओं को नव जीवन देने में विशेष भूमिका निभा रही है। यहां के कर्मचारी शिशुओं को सुरक्षित रखने के लिए यशोदा मैय्या की तरह समर्पित होकर ख्याल रख रही है। यही वजह है कि नवजात शिशु जब बोलना सीख जाते हैं तो देखरेख करने वाली महिलाओं को यशोदा मैय्या पुकारते हैं। शिशु सुरक्षित रहेंगे तो विश्व के भविष्य सुरक्षित रहेगा। साल 2004 से कुदुदंड में सेवा भारती मातृ छाया संस्था का संचालन किया जा रहा है। यहां ऐसे नवजात बच्चों का पालन पोषण करते हैं, जिनके माता-पिता जन्म देने के बाद लावारिस हालत में उन्हें छोड़कर भाग जाते हैं। ऐसे नवजात शिशुओं को पुलिस प्रशासन की मदद से मातृ छाया पहुंचाया जाता है। मातृ छाया में फिलहाल 15 महिलाएं व बालिकाएं इन शिशुओं की सेवा कर रही है। सेवा भारती मातृ छाया के शिशुओं को महिलाएं अपने बच्चों की तरह देखभाल करती हैं। बच्चों के सुबह उठने से लेकर नास्ता खिलाने व दूध पिलाने से लेकर मालिस करना व कपड़े साफ सहित अन्य काम करती हैं। संस्था में फिलहाल 18 बच्चों का पालन पोषण किया जा रह है। यहां की महिलाएं घर में अपने बच्चों की मालिश करती है उसी प्रकार संस्था के बच्चों का ध्यान भी करती हैं। उनकी प्रयास रहती है कि बच्चों को मां की कमी महसूस न हो पाएं। मातृ-छाया के बच्चों को मेडिकल की सुविधा भी दी गई है। यहं एक नर्स नियुक्त किए गए हैं। कोई भी बच्चे बीमार पड़ते हैं तो उन्हें तत्काल मेडिकल की सुविधा दी जाती है। इमरजेंसी के लिए एंबुलेंस वाहन की व्यवस्था भी है। ताकि रात हो या दिन किसी भी समय गंभीर स्थिति में बच्चों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया जा सके। मातृ छाया में बच्चों की देखभाल करने मे काफी सावधानी रखें जा रहे हैं। यही वजह है कि यहां तीन शिफ्ट में महिला व बालिकाओं की स्टाफ बच्चों की सेवा करती है। सुबह बच्चों के उठ जाने के बाद उन्हें दूध पिलाना, नहलाना, फिर प्रार्थना करवाने की कार्य करती हैं। इसके साथ ही बच्चों को आठ बजे नास्ता खिलाया जाते हैं। दोपहर बारह बजे उन्हें भोजन कराते हैं। शाम चार बजे बच्चें निंद से उठकर चाय और नास्ता करते हैं। शाम आठ बजे तक बच्चों को महिलाएं अलग-अलग खेल खिलाते हैं। इसके बाद खाना खाकर सभी बच्चे सो जाते हैं। इस दौरान भी रातभर महिला कर्मचारी ड्यूटी पर रहती हैं। सेवा भारती मातृ छाया के उपाध्यक्ष लता गुप्ता ने बताया कि नवजात शिशुओं का ख्याल रखते हुएं बड़े करना बहुत मेहनत का काम होता है। इस काम को सिर्फ एक मां ही सही से कर पाती हैं। शिशु व बच्चों को बाजार से गाय की दूध खरीदकर पिलाते हैं। फिर पूरे समय कर्मचारी बच्चों की देखभाल में व्यस्त रहती हैं। यहां सभी बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग से शिशु व बच्चों को सभी सुविधाएं दी जा रही है।
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