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दशहरा पर गांवों में होने वाले रामलीला के मंचन पर बेटियां लोहा मनवा रही लोहा

 रायपुर। आज बेटियां किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं है। रसोई से लेकर खेती के काम, देश की सेवा में अपने आप को तपा रही है। हर क्षेत्र में...

 रायपुर। आज बेटियां किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं है। रसोई से लेकर खेती के काम, देश की सेवा में अपने आप को तपा रही है। हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। दशहरा पर गांवों में होने वाले रामलीला के मंचन पर बेटियां अब लोहा मनवा रही है। छत्‍तीसगढ़ के बालोद जिले कई गांवों में आज लड़कियां राम-रावण का वेष धर अपने अभिनय से लोगों को मंत्र मुग्ध कर रही हैं। वर्षों तक पुरुषों की मंडली की प्रस्तुति देख चुके ग्रामीण अब इन बेटियों की प्रस्तुति को उत्साह के साथ देखते हैं, और उनका उत्साह बढ़ाते हैं। रामलीला मंचन की प्रस्तुति के दौरान निकाली जाने वाली झांकी और शोभायात्रा भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। इन जिले के इन गांवों में जिले के ग्राम टेकापार, गोरकापार, गंगोरीपार, निपानी, परसवानी की बालिकाएं रामलीला की बागडोर संभाले हुए हैं। गुरुर ब्लाक के ग्राम गंगोरीपार में बीते दो वर्षों से यहां की बालिकाएं रामलीला का मंचन सराहनीय ढंग से कर रही है। साथ अपने पात्र के साथ न्याय कर रही है। इनके द्वारा किए जाने वाले संवाद अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं।  मंडली के पदाधिकारियों ने बताया कि इन बालिकाओं के उत्साह को देखते हुए ही हमने भी निर्णय लिया है कि अब पुरुषों के बजाय बालिकाओं को ही पात्र दिया जाए। मंचन से लगभग 15 दिन पहले रिहर्सल किया जाता है, ताकि इनमें से किसी में भी आत्मविश्वास की कमी है तो उसे दूर किया जाए, जिससे वे निर्भीक होकर वे दर्शक दीर्घा तक अपनी बात स्पष्ट रूप से रख सके। गंगोरीपार के छगन लाल निषाद, गुमान साहू, टिकेश्वर ठाकुर ने बताया कि हमारे गांव में बीते कई वर्षों से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। पहले पुरुष करते थे, लेकिन अब बालिकाएं आगे आई हैं, जिन्हें देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ता है।

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