सुकमा। सात नवंबर को देश का सबसे बड़ा त्यौहार लोकतंत्र पर्व है और ठीक इससे पहले कुंदेड़ गांव पूरी तरह रोशन हो गया। 20 साल पहले नक्सलियों ने इला...
सुकमा। सात नवंबर को देश का सबसे बड़ा त्यौहार लोकतंत्र पर्व है और ठीक इससे पहले कुंदेड़ गांव पूरी तरह रोशन हो गया। 20 साल पहले नक्सलियों ने इलाके में लगे बिजली खंबों को नष्ट कर बिजली व्यवस्था ठप कर दी थी। लेकिन सुरक्षा बल के जवानों व बिजली विभाग के संयुक्त प्रयास से एक बार फिर से कुंदेड़ गांव रोशन हुआ है। बिजली आने से ग्रामीण काफी खुश है। अब यहां धीरे-धीरे विकास पहुंच रहा है और इलाके में प्रशासन की पकड़ मजबूत हो रही है। 2005 के बाद नक्सलियों ने कुदेड़ में बिजली खंबों को नष्ट कर दिया था। सलवा जुडूम के बाद इलाके की सड़कों को खोद दिया गया था। सरकारी भवनों को ध्वस्त कर दिया गया था। लोग अंधेरे में जीवनयापन करने के लिए मजबूर हो गए थे। कुछ माह पहले कुदेड़ में कैंप स्थापित हुआ और अब गांव तक फिर से बिजली पहुंची। इससे गांव पुरी तरह रोशनी से जगमगा उठा। कुंदेड़ गांव जगरगुड़ा तहसील के अंतर्गत आता है जहां करीब 100 परिवार विभिन्न पारों में निवासरत हैं। ये इलाका दंतेवाड़ा व बीजापुर का सरहर्दी क्षेत्र है। यहां पर नक्सलियों का प्रभाव है जिसके चलते शासन की योजनाएं नहीं पहुंच रही थी। कैंप स्थापित होने के बाद धीरे-धीरे विकास पहुंच रहा है और शासन की कल्याणकारी योजनाए भी पहुंच रही है। आकाश मरकाम एएसपी सुकमा ने कहा कि कुंदेड़ में 20 साल बाद बिजली पहुंची है। उस इलाके में नक्सलियों ने बिजली के खंबों को नष्ट कर दिया था, लेकिन कैंप स्थापित होने के बाद विकास हो रहा है। बिजली के साथ-साथ अन्य सुविधाएं पहुंच रही है। आने वाले समय में और भी गांव जहां बिजली नहीं पहुंची है, उन इलाकों में बिजली पहुंच जाएगी।
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