रायपुर । उम्र के आखिरी पड़ाव में मेरी सेवा करने वाला कोई नहीं है। शायद यह मेरे लिए दुर्भाग्य की बात है। मेरी तरह और भी कई बुजुर्ग हैं, ज...
रायपुर । उम्र के आखिरी पड़ाव में मेरी सेवा करने वाला कोई नहीं है। शायद यह मेरे लिए दुर्भाग्य की बात है। मेरी तरह और भी कई बुजुर्ग हैं, जिन्हें सहारे की जरूरत है। मैं चाहती हूं कि मेरी मृत्यु के बाद मेरे व मेरे स्वर्गीय पति के नाम पर एक ट्रस्ट बनाकर मेरे घर में वृद्धाश्रम संचालित किया जाए, ताकि जरूरतमंद बुजुर्गों को आखिरी समय में ज्यादा परेशानी न उठानी पड़े। यह कहना है गुढ़ियारी मच्छी तालाब के पास निवास करने वाली कांग्रेस नेत्री 90 वर्षीय गंगा बाई निषाद का। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधायक विकास उपाध्याय से मुलाकात कर आवेदन भी सौंपा है। गंगा बाई ने बताया कि उनका घर 1,600 वर्गफीट में दोमंजिला बना है। ऊपर मां दुर्गा का भव्य मंदिर है, जहां नवरात्र में विशेष पूजा होती है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में उनके साथ जनसेवा में जुड़े रहे डा. एमएस टंडन, अधिवक्ता विकास अग्रवाल और समाजसेवी प्रकाश माहेश्वरी होंगे। बता दें कि देश को स्वाधीन होते देखने वाली गंगा बाई का पूरा जीवन गरीब तबके की महिलाओं और बच्चों के लिए समर्पित रहा। अशिक्षित होने के बावजूद गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए वे लगातार कार्य करती रहीं। 1985 से लगभग 10 वर्षों तक एक शिक्षक को वेतन देकर अपने घर में ही बच्चों को शिक्षा ज्ञान दिलवाती रहीं। शहर और प्रदेश में महिलाओं का समूह बनाकर स्वालंबन के लिए काम करती रहीं। साक्षरता और महिला सशक्तीकरण की दिशा में उनके योगदान को देखते हुए कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी ने भी उनकी प्रशंसा की थी। गंगा बाई ने बताया कि उनका बायां पैर फ्रैक्चर हो गया है, जिसके कारण वे चल नहीं पातीं। पड़ोस में रहने वाली जानकी टंडन उनकी देखरेख करती हैं। दूर के रिश्तेदार हैं लेकिन वे हाल पूछने तक नहीं आ रहे। उन्होंने बताया कि 1995 में पति सुधीर कुमार निषाद का देहांत हो गया। संतान भी नहीं है। इससे वे अकेली हो गई हैं। इसलिए चाहती हैं कि दुनिया से जाने के बाद भी वे समाज के लिए कुछ कर जाएं।
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