रायपुर। श्रम विभाग का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तैयार कर लोगों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने वाले च्वाइस सेंटर के संचालक ताम्रध्वज भारती को पु...
रायपुर। श्रम विभाग का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तैयार कर लोगों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने वाले च्वाइस सेंटर के संचालक ताम्रध्वज भारती को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित का संपर्क बिहार के गैंग से था। वहां से फर्जी वेबसाइड के जरिए कार्ड बनाया जाता था। जांच में यह बात भी सामने आई है कि आरोपित कई ऐसे लोगों के जन्म प्रमाण पत्र जारी कर लाभ पहुंचाया है जिनके बच्चे नहीं हैं। फरार आरोपितों की पतासाजी पुलिस कर रही है। महतारी जतन योजना के नाम पर 20-20 हजार रुपये मिलते थे। आरोपित 10 हजार रुपये खुद रख लेता था। वहीं बिहार के गैंग को यह जरूरी दस्तावेज और एक प्रमाण पत्र तैयार करने के लिए 30 रुपये देता था। सिविल लाइन थाना पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। सिविल लाइन थाने में सहायक श्रम आयुक्त अनिल कुमार कुजूर ने रिपोर्ट दर्ज करवाई। छग भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में महतारी जतन योजना संचालित है। इसमें शिशु के जन्म के तीन महीने तक मंडल में पंजीकृत महिला हितग्राहियों द्वारा आनलाइन आवेदन किया जाता है। योजना आवेदन में आधार कार्ड, बैंक पासबुक, जन्म प्रमाण पत्र, नियोजन प्रमाण पत्र के दस्तावेज आनलाइन अपलोड किए जाते हैं। श्रम निरीक्षक अभनपुर दीपक चन्द्राकर द्वारा 40 आवेदनों को स्वीकृत कर प्रार्थी की आइडी में अग्रेषित किया गया था। किन्तु प्रार्थी द्वारा फिर से जांच करने के मौखिक आदेश पर प्रारंभिक जांच में आनलाइन संलग्न जन्म प्रमाण पत्र में श्रम निरीक्षक अभनपुर दीपक चन्द्राकर को संदेह होने पर उन आवेदनों की जांच की गई। उक्त 40 प्रमाण पत्रों में से प्रियंका कुर्रे का 15 जून 2023 को जारी जन्म प्रमाण पत्र को प्रार्थी द्वारा योजना अर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में जाकर जांच कराया गया। इसमें पाया गया कि उक्त प्रमाण पत्र विभाग की वेबसाइट में नहीं है। इसी प्रकार और भी प्रमाण पत्र जारी किए गए। उक्त प्रमाण पत्र में क्यूआर कोड स्कैन करने पर स्कैन होता था जो असली प्रतीत होता है। श्रम निरीक्षकों के रिपोर्ट पर प्रारंभिक जांच में ऐसे पांच प्रमाण पत्रों के आधार पर आवेदकों, हितग्राहियों को लाभान्वित कर दिया। 20-20 हजार रुपये भी उन्हें मिल गए। पैसे मिलने के बाद 10 हजार रुपये उसने ले लिए। पूछताछ में पता चला कि आरोपित ऐसे लोगों के प्रमाण पत्र भी जारी करता था जिनके बच्चों को जन्म के तीन माह बीत चुके होते थे। वहीं विभाग ने जब जांच की तो सामने आया कि कुछ ऐसे प्रमाण पत्र भी जारी किए गए हैं जिनके बच्चे हुए ही नहीं हैं। आरोपित आवेदकों से पूरी जानकारी उनके कागजात लेकर बिहार में बैठे गैंग को देता था। वहां से हू-ब-हू दिखने वाला प्रमाण पत्र बनाकर दे देते थे।
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