नालंदा । नालंदा में नौ घंटे बाद बोरवेल में गिरे तीन साल के शिवम को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम को बड़ी सफ...
नालंदा । नालंदा में नौ घंटे बाद बोरवेल में गिरे तीन साल के शिवम को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम को बड़ी सफलता मिली है। बच्चे को देशी जुगाड़ के सहारे निकाला गया है। एक पाइप में कैमरा फिट किया गया और उसके सहारे रस्सी से हुक बांधकर गड्ढे में डाला गया। हुक में बच्चे का पैर फंसाकर उसे बाहर निकाल लिया गया। निकलने पर बच्चे की स्वास्थ्य जांच की गयी। पता चला कि बच्चा स्वस्थ्य है। शिवम नालंदा थाना क्षेत्र के कूलगांव में 50 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। बच्चे को वहां मौजूद एम्बुलेंस से तत्काल पावापुरी अस्पातल ले जाया गया है। वहां पहले से डॉक्टरों की टीम तैयारी थी। उसके माता और पिता साथ गए हैं। अस्पताल में उसका इलाज कराया जा रहा है। शिवम सकुशल है और रेस्पांड कर रहा है।दरअसल नालंदा में खेलते-खेलते यह हादसा हो गया था। सुबह करीब साढ़े नौ बजे एक 3 साल का बच्चा गिर गया। उसके बा घटनास्थल पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। तुरंत बच्चे के माता पिता पहुंच गए। उनके आते ही घटना स्थल पर चीख पुकार मच गई। गटना नालंदा थाना इलाके के कुलगांव की है। बच्चे के बोरवेल में गिरने से पूरे गांव में हड़कंप मच गया। स्थानीय प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबक बोरवेल करीब 145 फीट से ज्यादा गहरा है। लेकिन बच्चा बोरवेल के बीच में फंसा गया। करीब 50 फीट पर वह फंसा था। टॉर्च की रोशनी के जरिए बच्चा नजर आ रहा था और उसके रोने की आवाज मिल रही था। डीएम शशांक शुभंकर के आदेश पर बच्चे को बोरवेल से निकालने के लिए प्रशासन और विशेषज्ञों की टीम तैनात कर दी गई थी। सुरक्षित तरीके से निकालने के लिए बोरवेल के बगल में खुदाई के लिए दो जेसीबी भी लगाए गए। लेकिन कैमरा और रस्सी के सहारे उसे करीब घंटे के बाद उसे सीधे निकाल लिया गया। डीएम के आदेश पर घटनास्थल पर मेडिकल टीम को ऑक्सीजन सुविधा के साथ मौजूद लगया गया था। बोरवेल में बच्चे को पाइप के माध्यम से लगातारऑक्सीजन दिया गया ताकि वह सांस ले सके। पटना से NDRF और SDRF की टीम को बुलाया गया जिनके अथक प्रयास से बच्चे को निकाले में कामयाबी मिली। जानकारी के मुताबिक हादसा एक किसान की लापरवाही से हुआ। गांव के किसान ने बोरिंग के लिए बोरवेल बनाया था। लेकिन, यहां बोरिंग नहीं लग पाया तो वो दूसरे जगह बोरिंग लगाने में जुट गए। किसान ने बोरबेल को बंद नहीं किया गया बल्कि उसे बोड़े से ढक दिया था। इसके चलते इतना बड़ा हादसा हो गया। लेकिन बच्चे के सुरक्षित निकाले जाने के बाद गांव में एक बार फिर माहौल उत्सवी हो गया है। डीएम शुभंककर कुमार ने बच्चे के गहन इलाज का निर्देश सिविल सर्जन को दिया है।
No comments