दुर्ग / छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की पाटन तहसील के आदर्श ग्राम खोला में कलाकारों की नई पौध तैयार हो रही है। 800 लोगों की आबादी वाले इस गांव मे...
दुर्ग/ छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की पाटन तहसील के आदर्श ग्राम खोला में कलाकारों की नई पौध तैयार हो रही है। 800 लोगों की आबादी वाले इस गांव में करीब 350 कलाकार हैं। इसमें 16 राष्ट्रीय स्तर के हैं, जो करीब एक दर्जन से अधिक राज्यों में पंथी नृत्य, जसगीत और फाग गीत की प्रस्तुति दे चुके हैं। इस छोटे से गांव में पद्मश्री से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के कलाकार है। इनमें से एक कलाकार राधेश्याम बारले भी हैं, जिन्हें 2021 में पद्मश्री सम्मान मिल चुका है।
कलाकारों ने बताया कि पंथी नृत्य वाली मंडली में करीब 50 महिला और पुरुष है। इसी तरह जसगीत में करीब 150 से अधिक बच्चे, बुजुर्ग और युवा शामिल हैं। इसके साथ ही फाग गीत की तीन टीमें बनाई गई हैं, जिसमें करीब 150 से अधिक कलाकार हैं। इस गांव में अनेक गांवों से कलाकार प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कर चुके हैं नाम रोशन इस गांव में राष्ट्रीय स्तर के 16 कलाकार ग्राम खोला में हर किसी के अंदर प्रतिभा छुपी हुई है। यहां पर जय सतनाम पंथी एवं सांस्कृतिक समिति का विशेष वर्चस्व है। इस समिति के कुल 16 कलाकार हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर चुके हैं। इसमें पद्मश्री राधेश्याम बारले के अलावा देव सिंह भारती, अर्जुन महेश्वरी, पंचराम जांगड़े, जोन कोठारी, शिवनाथ बंजारे, महेंद्र चेलक, गणेश कोसरे, कृष्ण कोसरे, बालक राम कोसरे, बालाराम कोसरे, देवलाल जांगड़े, मिश्रीलाल बारले, टिकम बारले, सुरेश डाहरे, अमरदास कोसरे, सुरेश कुमार डाहरे, महंत सोनवानी हैं। इनके अलावा कई अनेक कलाकार भी हैं जो राज्य स्तर पर अपनी कला से लोगों को प्रभावित कर चुके हैं।
350 कलाकारों वाले इस गांव में हैं चार मंडलियां आदर्श ग्राम खोला के पद्मश्री आरएस बारले ने बताया कि 350 कलाकारों वाले इस गांव में चार मंडलियां हैं। जिसमें महिला, पुरष और युवा हैं। देखा जाए तो हर घर में कलाकार है कोई पंथी तो जसगीत और फागगीत में प्रसिद्ध हैं। वहीं ढोल, हारमोनियम, बांसुरी, ताशा जैसे वाद्ययंत्र बजाने वाले कलाकार भी हैं। यह कलाकार राजस्थान, हरियाणा, असम, यूपी और बिहार जैसे राज्यों में प्रदर्शन कर चुके हैं।