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मात्र 1 लाख रुपए में बनाए कहीं डॉक्टर और इंजीनियर : 16 विश्वविद्यालय के नाम पर बांट रहे फर्जी डिग्रियां..

  चंंडीगढ़। पंजाब में मोहाली पुलिस ने मोटी रकम की एवज में फर्जी डिग्रियां  देने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के सदस्य , युवको...

 

चंंडीगढ़। पंजाब में मोहाली पुलिस ने मोटी रकम की एवज में फर्जी डिग्रियां  देने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के सदस्य , युवकों को 30-40 दिन में ही इंजीनियर, डॉक्टर, अकाउंटेंट, एमबीए, बीटेक, एमटेक की फर्जी डिग्रियां सौंप देते थे। इस गिरोह का नेटवर्क 6 राज्यों पंजाब, हिमाचल, यूपी, हरियाणा, दिल्ली और मध्य प्रदेश सहित कई शहरों फैला हुआ था.


आपको बता दें , शातिर सदस्य 16 सरकारी और निजी यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां बांट रहे थे। पुलिस ने इन शातिरों से जाली दस्तावेज, मुहर, होलोग्राम, कंप्यूटर और कई चीजें बरामद की हैं। पुलिस ने इस गिरोह के पांच शातिरों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें हिरासत में लिया हैं।  कुछ आरोपी 2012 तो कुछ 2017 से यह काम कर रहे थे। इनकी उम्र 21 साल से लेकर 35 साल तक है। इस गिरोह का सरगना आनंद विक्रम गाजियाबाद का रहने वाला है। 


जानकारी के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों मे "निर्मल सिंह निम्मा" गांव करतारपुर थाना मुल्लांपुर गरीबदास, "विष्णु शर्मा" निवासी निधि हाई कॉलोनी मथुरा (यूपी), "सुशांत त्यागी", संचालक वीर फाउंडेशन डिस्टेंस एजुकेशन मेरठ और "आनंद विक्रम सिंह" निवासी सेक्टर-2, वैशाली गाजियाबाद (यूपी), "अंकित अरोड़ा", निवासी फतेहपुर, सियालवा, मोहाली शामिल हैं ।


एसएसपी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसपी डॉ. "रवजोत कौर ग्रेवाल" और डीएसपी "जीरकपुर अमरोज सिंह" ने इस गिरोह की जानकारी पत्रकारों को दी है। उन्होंने बताया कि पांचों शातिरों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं। एसपी डॉ. रवजोत कौर ग्रेवाल ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी युवकों से उनके असली दस्तावेज लेकर इन पर दी गई पूरी जानकारी के आधार पर उन्हें जाली सर्टिफिकेट और डिग्री बनाकर देते हैं। इसके बाद पुलिस ने सबसे पहले एक शातिर निम्मा को गिरफ्तार किया. इसके बाद आरोपियों ने उससे पूछताछ के बाद इस गिरोह के अन्य शातिरों को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी पूरे देश में स्टडी सेंटर चला रहे थे. एजुकेशन कंसल्टेंट बताकर शातिर युवकों से एक से डेढ़ लाख रुपये तक वसूल कर, उन्हें फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर रहे थे. सर्टिफिकेट असली लगें, इसलिए यह लोग उस पर होलोग्राम का भी इस्तेमाल कर रहे थे.

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