रायपुर। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में, गानों में ,छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति देखने को मिलती रही है। लेकिन इन दिनों विशिष्ट ढंग के गानों की तर्ज प...
रायपुर। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में, गानों में ,छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति देखने को मिलती रही है। लेकिन इन दिनों विशिष्ट ढंग के गानों की तर्ज पर यहां भी गाने बनने लगे हैं। ऐसा ही एक गाना ‘दबा बल्लू’ इन दिनों यूट्यूब पर काफी हद तक पसंद किया जा रहा है। गाने की लोकप्रियता ऐसी है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम पर तमाम प्रकार के मीम तक बन रहे हैं।
आपको बता दे , इसके दो अर्थी बोल के चलते इसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। यहां तक कि गांव-गांव में सरपंच और पंचायत सचिव आदेश जारी कर इस गाने के बजाने या फिर इसके संवाद बोलने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। बीते दिनों धरसींवा के कांदुल गांव में भी इसी तरह का आदेश सरपंच और पंचायत सचिव ने मिलकर जारी किया है । आदेशानुसार मड़ई मेला में किसी तरह की मारपीट ,लड़ाई, या "दबा बल्लू" जैसे दो अर्थी संवाद बोलने पर 5,551 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
बताया जाता है कि इसी तरह पलारी, बालोद, बेमेतरा के ग्रामीण इलाकों में भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। ग्राम पंचायत की ओर से इस गाने को बजाने या गाने पर 5 हजार का जुर्माना लगाया है। लेकिन शायद यह पहली बार है जब छत्तीसगढ़ में किसी छत्तीसगढ़ी गाने को अश्लीलता का पर्याय मान कर उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाया जा रहा है। आपको बता दे, इससे पहले भी एक गाने के बोल "डारन दे ना वो" को भी दो अर्थी वह अश्लीलता से लबरेज बताया गया था।
बता दें कि यूट्यूब पर एक और जहां इसे पसंद किया जा रहा है तो वही कई लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। कुछ लोग इसे भोजपुरी फिल्मों और गानों की तरह इसे भी अश्लीलता फैलाने वाला बता रहे हैं। हालांकि, लोगों का एक बहुत बड़ा तबका इस गाने को पसंद भी कर रहा है।
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