नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के कोलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस "पुष्पा गनेडीवाला" की बतौर स्थायी न्या...
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के कोलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस "पुष्पा गनेडीवाला" की बतौर स्थायी न्यायधीश के प्रस्ताव को मंजूरी को वापस ले लिए है। यह ठोस कदम कोलेजियम ने उनके हाल ही में दिए विवादास्पद फैसलों को देखते हुए उठाए हैं।
जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने 12 साल की एक बच्ची के अंग विशेष को छूने के मामले में आरोपित को कुछ दिनों पहले बरी कर दिया था , और अपने फ़ैसले में उन्होंने कहा था कि आरोपित ने बच्ची के साथ "त्वचा से त्वचा" संपर्क नहीं किया था। आगे उन्होंने कहा कि पांच साल की बच्ची को पकड़ना वा उसके वक्षस्थल को कपड़ों के ऊपर से छूना या फिर उसके ट्राउजर की जिप खोलना यौन अपराधों से बच्चो का संरक्षण (पोस्को) कानून के तहत यौन अपराध नहीं है। इस माह दो अन्य फैसलों में जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने नाबालिक लड़कियों से दुष्कर्म के आरोपित दो लोगों को बरी कर दिया था।
आपको बता दे , पोस्को कानून के तहत यौन अपराध की उनकी व्याख्या पर हुई आलोचनाओं के बाद कोलेजियम द्वारा यह फैसला लिया गया है। प्रधान न्यायधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने 20 जनवरी को जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला को स्थायी न्यायधीश बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। ज्ञात हो सर्वोच्च न्यायालय के तीन सदस्यीय कोलेजियम में प्रधान न्यायधीश एस.ए बोबडे के साथ जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस आरएफ नरीमन भी शामिल हैं।
*आलोचनाओं से घिरी जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला*
बांबे हाईकोर्ट की अतिरिक्त न्यायधीश का पदभार संभाल रही जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के परतवाड़ा में 3 जनवरी 1969 को हुआ था। 2007 में जिला न्यायालय के तौर पर सीधे नियुक्त की गई थी।23 फरवरी 2019 को बांबे हाईकोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत की गई थी।
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